कोरबा (IP News). कोल फेडरेशन एटक के राष्ट्रीय सचिव दीपेश मिश्रा ने भारतीय मजदूर संघ को आड़े हाथों लिया है। श्री मिश्रा ने जारी बयान में कहा कि बड़ी अचरज की बात है कि पिछले साल 2 अगस्त, 2019 को संसद में केन्द्र सरकार ने जो वेज कोड बिल पास किया था, उसे भाजपा से जुड़े भारतीय मजदूर संगठन ने समर्थन किया था। वहीं बीएमएस आज लेबर कोड विधेयक की मुखालफत कर रहा है।

एटक के वरिष्ठ नेता ने कहा कि केंद्र की सरकार ने तीन लेबर कोड क्रमशः औद्योगिक संबंध संहिता 2020, व्यवसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं काम करने की स्थिति संहिता 2020 तथा सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को 22 सितंबर को लोकसभा में तथा 23 सितंबर को राज्य सभा मे बिना चर्चा के पास कर दिया है। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने तीन श्रम सुधार पर संसद में कहा कि इन श्रम सुधारों का उद्देश्य हमारे श्रम कानूनों को कार्यस्थल की निरंतर बदलती हुई दुनिया के अनुरूप बनाना है। उन्होंने आगे कहा कि ये श्रम संहिताएं देश मे श्रमिकों के कल्याण लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगी।

दीपेश मिश्रा ने कहा कि सरकार ने जो लेबर कोड लाया है उसके लागू होने पर देश का श्रमिक वर्ग पूरी तरह बंधुआ मजदूर होकर रह जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि सरकार लेबर कोड विधेयक के जरिए मजदूर संगठनों एवं कामगारों पर नकेल कसना चाहती है। इसमें मजेदार बात तो यह है कि सरकार ने लेबर कोड में क्या प्रावधान किया है ये किसी को पता नहीं है, क्योंकि संसद मे इस पर कोई चर्चा ही नहीं की गई है और न ही संसदीय सिफारिशों को समायोजित किया गया है। वास्तविक स्थिति तो तब पता चलेगी जब गजट के माध्यम से पब्लिक डोमेन मे यह विधेयक प्रकाशित होगा और तभी असलियत सामने आ पाएगी।

दीपेश मिश्रा ने कहा कि भाजपा की सोच मेहनतकश कामगार विरोधी है जो पुरे देश मे कॉन्ट्रेक्ट सिस्टम लादना चाहती है। इसी के तहत तमाम सरकारी संस्थाओं और सार्वजनिक उपक्रमों का ताबड़तोड़ निजीकरण करने पर आमदा है। यह अजीब विडंबना है कि देश मे आजादी के पहले जब अंग्रेजी हुकूमत हुआ करती थी। तब 1929 में सायमन कमिशन ने जो कॉन्ट्रेक्ट पद्धति कि सिफारिश की थी उसे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह देशहित के खिलाफ है। अब भाजपा की सरकार पूरे देश मे ठेका पद्धति को आगे बढ़ा रही है। दीपेश मिश्रा ने कहा कि दरअसल सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं चुनिंदा बड़े उद्योग घरानों के दबाव में श्रम कानूनों मे बदलाव की कवायद कर रही। विदेशी कंपनियां यहां व्यापार करने आती हैं।

उनके देश में एक मजबूत श्रम कानून है, लेकिन जब वे भारत आते हैं तो यूनियन फ्री माहौल चाहते हैं। जापान जहां दुनिया का सबसे अच्छा वर्क क्लचर है। वहां मालिक और मजदूर के बीच अच्छा रिश्ता होता है जो पूरे दुनिया के लिए रोल मॉडल है, लेकिन जापान की सुजुकी कंपनी जब हरियाणा के मानेसर में फैक्ट्री लगाती है तो ट्रेड यूनियन और स्थायी कर्मचारी नहीं होने की मांग करती है। दीपेश मिश्रा नेे कहा कि लेबर कोड विधेयक का पूरी ताकत के साथ विरोध करने का संयुक्त श्रम संघों ने ऐलान किया है।

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