कोरबा (IP News).  कमर्शियल माइनिंग के तहत कोल ब्लाॅक नीलामी की प्रक्रिया 11 नवम्बर को अपने अंजाम पर पहुंच जाएगी। कोयला मंत्रालय द्वारा जारी नए शेड्यूल के अनुसार 31 अक्टूबर को तकनीकी बोलियों का परीक्षण होगा। इलेक्ट्रोनिक आक्शन 2 से 9 नवम्बर तक होगा। 11 नम्वबर को नामांकित प्राधिकारी द्वारा चयनित बोलीदाताओं की अनुशंसा केन्द्र सरकार से की जाएगी। कमर्शियल माइनिंग के तहत कोल ब्लाॅक्स की नीलामी के लिए 41 कोयला खदानें चिन्हांकित की गई थीं। बाद में इनकी संख्या 38 की गई। अंतिम रूप से 21 कोल ब्लाॅक्स के लिए 76 बोलियां प्राप्त हुई हैं। इधर, कोयला उद्योग में जोरशोर के साथ कमर्शियल माइनिंग की मुखालफत हुई थी, लेकिन अब विरोध के स्वर ठंडे पड़ गए हैं। माना जा रहा था कि नीलामी प्रक्रिया के अंतिम दिवस हड़ताल पर फैसला लिया जाएगा, किंतु ऐसा नहीं हो सका है।

यहां बताना होगा कि 18 जून को प्रधानमंत्री ने कमर्शियल माइनिंग के तहत 41 कोल ब्लाॅक की नीलामी प्रक्रिया की विधिवत शुरुआत की थी। इसके बाद कोयला उद्योग प्रमुख पांच श्रमिक संगठन बीएमएस, एचएमएस, इंटक, सीटू, एटक ने एक मंच पर आकर 2 से 4 जुलाई तक कामबंद हड़ताल का ऐलान किया। सरकार ने हड़ताल न हो इसके लिए काफी प्रयास किए। 30 जून को कोल सेके्रटरी के साथ यूनियन की बैठक भी हुई, लेकिन बात नहीं बनी और कोयला उद्योग में तीन दिनों की सफल हड़ताल हुई। इस हड़ताल का सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ा वो अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुई। श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने तीन दिनों की हड़ताल के बाद भी कमर्शियल माइनिंग के विरोध में आंदोलन जारी रखा।

संयुक्त मोर्चा ने 15 जुलाई को बैठक कर आगे की रणनीति तय की। 18 अगस्त को एक दिवसीस हड़ताल का निर्णय लिया गया। इस बीच कोयला मंत्रालय ने नीलामी प्रक्रिया स्थगित कर दी। इसे देखते हुए संयुक्त मोर्चा ने 9 अगस्त को बैठक बुलाई और हड़ताल भी स्थगित कर दी गई। बाद में कोयला मंत्रालय ने नीलामी प्रक्रिया का दूसरा शेड्यूल जारी किया, लेकिन संयुक्त मोर्चा दोबारा हड़ताल करने को लेकर किसी प्रकार का फैसला नहीं ले सका। संयुक्त मोर्चा की 15 सितम्बर और 21 सितम्बर को बैठक हुई। कमर्शियल माइनिग के साथ और भी मुद्दे जोडते हुए 12 सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया। 30 सितम्बर को मांग दिवस और 8 अगस्त को विरोध दिवस मनाया गया। इसके बाद कमर्शियल माइनिंग की मुखालफत धीमी पड़ती गई। 11 नवम्बर को कोल ब्लाॅक की नीलामी पर अंतिम मुहर लग जाएगी। संयुक्त मोर्चा और इसके नेता अब हड़ताल को लेकर चर्चा नहीं कर रहे हैं।

क्या डाक्टर साहब के बीएमएस के कोल प्रभारी के पद से हटने से धार कम हुई?

केन्द्र सरकार के कमर्शियल माइनिंग के निर्णय को लेकर भारतीय मजदूर संघ से काफी आक्रामक था। वित्त मंत्री ने जब इस निर्णय की जानकारी दी थी तब बीएमएस के नेताओं ने इसे देश के लिए काला दिन करार दिया था। बीएमएस के कोल सेक्टर के प्रभारी डा. बीके राय बेबाक तरीके से कमर्शियल माइनिंग को लेकर प्रधानमंत्री और कोयला मंत्री को कटघरे में खड़ा कर रहे थे। डा. राय ने 4 जुलाई को बैठक के बाद कहा कि कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि इस आंदोलन की अगुवाई भारतीय मजदूर संघ करेगा। संयुक्त मोर्चा में शामिल दूसरे यूनियन के नेता भी डा. राय की बात सुनते थे।

इधर, डा. बीके राय का कार्यकाल 30 सितम्बर को खत्म हो गया। बीएमएस ने उनके स्थान पर के. लक्ष्मा रेड्डी को कोल सेक्टर के प्रभारी का दायित्व सौंपा। श्री रेड्डी ने कोल सेक्टर की जवाबदारी जरूर संभाली, लेकिन उन्होंने अब तक कमर्शियल माइनिंग को लेकर कोई वक्तव्य जारी नहीं किया हैे और न ही वे संयुक्त मोर्चा की किसी बैठक में शामिल हुए हैं।

तैयार नहीं हो पा रही रणनीति: नाथूलाल पांडेय

संयुक्त मोर्चा एवं एचएमएस के प्रमुख नेता नाथूलाल पांडेय ने कहा केन्द्र सरकार कमर्शियल माइनिंग को लेकर अडिग हैे। संयुक्त मोर्चा की हड़ताल को लेकर रणनीति तैयार नहीं हो पा रही है। एक दिन की हड़ताल से कुछ नहीं होने वाला है। कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ ठोस और लंबी लड़ाई की आवश्यकता है। 26 नवम्बर को देशव्यापी हड़ताल होनी है। इसके तहत कोल सेक्टर में भी हड़ताल होगी।

 

 

 

 

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