Coal India
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कोलकाता। कोल इंडिया ने शुरू से अंत तक संपर्क (एफएमसी) परियोजनाओं में अपने निवेश को बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही इसका कुल निवेश 15,700 करोड़ रुपये हो जाएगा, जिसमें उसके पहले की 35 परियोजनाओं के अलावा 14 अतिरिक्त परियोजनाएं होंगी।

कंपनी पहले से ही 19 परियोजनाओं से मशीनी प्रणाली के जरिये 15.1 करोड़ टन कोयले का परिवहन करती है और कोल हैंडलिंग प्लांट (सीएचपी) व सिलोस से कोयले का लदान करती है जो 2023-24 तक चरण 1 की परियोजनाओं के माध्यम से 55.7 करोड़ टन पर पहुंच जाएगी। एक बार अंतिम निर्णय की औपचारिकताएं पूरी होते ही चरण 2 की परियोजनाएं भी अपना योगदान करना शुरू कर देंगी।

परियोजना के चरण 1 के तहत सरकारी क्षेत्र की इस खदान कंपनी ने 12,300 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ अपनी छह सहायक कंपनियों से 35 परियोजनाओं पर काम पूरा किया है जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 40 लाख टन की है। इनकी संयुक्त परियोजना क्षमता 40.6 करोड़ टन है।

चरण 2 की परियोजना के तहत 14 अतिरिक्त परियोजनाएं चिह्नित की गई हैं जिसमें 3,400 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इनकी क्षमता 10.05 करोड़ टन कोयले के रखरखाव की होगी।

दूसरे चरण की 14 परियोजनाओं में से सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) की पांच परियोजनाएं हैं जिनकी सलाना क्षमता 6.25 करोड़ टन है। महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के पाए एकमात्र परियोजना है जिसकी सालाना क्षमता 2 करोड़ टन की है। ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के पास सात परियोजनाएं हैं और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के पास एक परियोजना है जिसकी सालाना क्षमता क्रमशरू 1.4 करोड़ टन और 40 लाख टन की है।

एफएमसी खदान निकास से आपूर्ति बिंदु तक का परिवहन है। इस कदम का लक्ष्य दो बिंदुओं के बीच मौजूदा सड़क परिवहन को समाप्त करना है और वाहक पट्टों के जरिये मशीनी माध्यम से कोयले की बाधारहित परिवहन प्रणाली को अपनाना है। यह कोयले के परिवहन के लिए ढंकी हुई व्यवस्था है, जिससे धूल से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी। इसमें रेलवे के मालडिब्बों की कंप्यूटर की सहायता से लदान की सुविधा होगी।

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