कोरबा (IP News). राज्यसभा में एक सवाल के जवाब के बाद यह स्पष्ट हो गयाा है कि कोयला मंत्रालय के लिए पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 यानी पेसा एक्ट मायने नहीं रखता। यहां बताना होगा कि केरल के सांसद बिनोय विस्वम ने छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित मदनपुर साउथ कोल ब्लाॅक अधिग्रहण के पूर्व पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभा की सहमति ली गई थी या नहीं। इस पर कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने लिखित जवाब में कहा था कि कोयला धारक क्षेत्र (अर्जन और विकास) अधिनियम, 1957 में ग्राम सभा की सहमति लेने के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है।

मदनपुर साउथ कोल ब्लाॅक आंध्र प्रदेश खनिज विकास निगम को आंबटित किया गया है। इस कोल ब्लॉक में खनन कार्य शुरू करने कोयला मंत्रालय द्वारा भूमि अधिग्रहण करने अधिसूचना जारी की गई है। खनन का ठेका बिरला समूह को दिया गया है। कोल ब्लाॅक का क्षेत्र के ग्रामीण निरंतर विरोध कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि कोल ब्लाॅक लेमरू एलिफेंट रिजर्व आरक्षित क्षेत्र के भीतर है। ग्राम सभाओं ने इसके विरोध में प्रस्ताव पारित किया है।

छत्तीसगढ़ को कोरबा जिला 5वीं अनुसूचित क्षेत्र में समाहित है। ऐसे में जमीन अधिग्रहण के लिए पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभा की सहमति आवश्यक है। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी पेसा एक्ट को मजबूत करने और इसके पालन करने की पहल की है। हाल ही में बस्तर दौरे के दौरान राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा था पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं के फैसलों से बड़ा निर्णय नहीं होता है। इस दौरान भाजपा के दिग्ग्ज आदिवासी नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नंद कुमार साय भी मौजूद थे

कोयला मंत्री के जवाब ने एक बात और साफ की है कि केन्द्र सरकार कोल ब्लाॅक के लिए संसद में पारित कानून को भी दरकिनार करने से नहीं चुकेगी।

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