कोरबा (IP News). बुधवार को भारतीय मजदूर संघ ने राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से कानूनों में उचित बदलाव की मांग की। इसके पूर्व 10 से 16 अक्टूबर के बीच में देशभर में इन कानूनों को लेकर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया गया था। यहां बताना होगा कि बीएमएस केन्द्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों की निरंतर मुखालफत कर रहा है। भारतीय मजदूर संघ ने सरकार जगाओ , पीएसयू बचाओ आंदोलन किया, लेकिन न सरकार जागी और न ही मजदूर विरोधी नीतियों में कोई परिवर्तन हुआ। सरकार को चेतावनी सप्ताह के माध्यम से चेताने का प्रयास भी किया गया। इसका असर भी सरकार पर नहीं पड़ा। सरकार के रवैये का देखते हुए 28 अक्टूबर को देशव्यापी विरोध दिवस मनाए जाने का ऐलान किया गया था। इसी के तहत देशभर में बीएमएस द्वारा विरोध दिवस के तहत प्रदर्शन किया गया, रैली निकाली गई।

बीएमएस के नेताओं ने कहा कि नए श्रम कानून में कई प्रावधान श्रमिक विरोधी हैं। पहले सौ श्रमिकों के होने के बाद किसी कंपनी को उनकी छंटनी करने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होती थी, लेकिन अब यह संख्या बढ़ाकर 300 तक कर दी गई है। इसका असर ये हुआ है कि लगभग सत्तर फीसदी कंपनियां अब इस दायरे से बाहर हो गई हैं और अब वे श्रमिकों के साथ मनमानी कर सकती हैं। नए श्रम कानूनों में श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य, सुविधाएं कम कर दी गई हैं। इसका यह असर होगा कि कोई दुर्घटना होने पर श्रमिकों के परिवार की आर्थिक-सामाजिक सुरक्षा नहीं की जा सकेगी।

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