भारतीय वैज्ञानिकों ने 3 डी प्रिंटिंग द्वारा सक्षम बहुआयामी हीट सिंक विकसित किया है, जो पारंपरिक सिंक की तुलना में 50 प्रतिशत बढ़ी हुई दर से यांत्रिक उपकरणों की गर्मी को दूर कर सकता है।

हीट एक्सचेंजिंग के लिए मौजूदा पद्धतियों और हीट सिंक के लिए समर्पित इकाइयों का उपयोग करके विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त किया जाता है। नई तकनीक में, एक इकाई में कई कार्यों को एक साथ एकीकृत किया गया है। इसका उपयोग हीट पाइप, वाष्प कक्ष, हीट एक्सचेंजर्स और शोर कम करने वाले हीट सिंक को विकसित करने के लिए भी किया जा सकता है।

इलेक्ट्रोप्लेटिंग के साथ संयोजन में 3 डी प्रिंटिंग द्वारा सक्षम तकनीक को आईआईटी बॉम्बे के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शंकर कृष्णन द्वारा गर्मी का प्रसार करते समय भार को सहन करने के लिए विकसित किया गया। इसे ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का सहयोग भी मिला है। उन्होंने ‘शोर कम करने वाली हीट सिंक’ पर एक राष्ट्रीय पेटेंट दायर किया है और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट को बाद में लागू किया जाएगा। इसके लिए प्रायोगिक और कम्प्यूटेशनल सत्यापन किया जा चुका है।

यह तकनीक काम भार वाली है और मैकेनिकल कम्प्रेशर लोड को सहन कर सकती है, गर्मी को फैला सकती है तथा ध्वनि / शोर को अवशोषित कर सकती है। इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स कूलिंग और इसके साथ-साथ विद्युत तथा शीतलन उद्योग में किया जा सकता है।

ओपेन-लिटरेचर सर्वे के अनुसार वर्तमान में बाजार में ऐसा कोई उत्पाद मौजूद नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक्स का थर्मल प्रबंधन बाजार दस-बिलियन-डॉलर का है और इस तकनीक के लाभार्थी संभावित हैं। इसके अतिरिक्त, कोई भी फैन-माउंटेड हीट एक्सचेंजर इस तकनीक से लाभ उठा सकता है। हालांकि लागत एक जोखिम कारक होता है लेकिन उच्च मात्रा निर्माताओं के साथ साझेदारी करने से यह जोखिम कम हो जाएगा।

यह प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन के स्तर के तीसरे चरण में है (यह सुनिश्चित करने के लिए प्रायोगिक के साथ सत्यापन की अवधारणा पर अपेक्षित रूप से काम करती है।) तथा प्रो कृष्णन प्रमुख अर्धचालक निर्माता और उच्च मात्रा विनिर्माण के साथ चर्चा में हैं और सघन शोर (दोनों ब्रॉडबैंड और साथ ही साथ टोनल) को घटाने के लिए हीट सिंक को कम करने पर आगे काम करेंगे।

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