कोरबा (IP News).  छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले तथा हसदेव अरण्य क्षेत्र में स्थित मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध जारी है। गुरुवार को ग्राम मोरगा में सैकड़ो की संख्या में स्थानीय आदिवासियो ने कोयला खनन परियोजना के खिलाफ बड़ी संख्या में उपस्थित होकर रैली करते हुए एसडीएम के नाम ज्ञापन सौंपा।

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यहां बताना होगा कि मदनपुर साउथ कोल व्यावसायिक प्रयोजन हेतु आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलोपमेन्ट कारपोरेशन को आबंटित हुआ है। खनन का ठेका बिरला समूह को दिया गया है। इस कोल ब्लॉक में खनन कार्य शुरू करने कोयला मंत्रालय द्वारा भूमि अधिग्रहण करने अधिसूचना जारी की गई है। जिसका प्रभावित गांव एवं उनकी ग्राम सभा भी सतत विरोध कर रही है। अधिसूचना के खिलाफ ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से लेकर कोयला मंत्रालय तक आपत्तियां दर्ज की हैं। साथ ही स्थानीय स्तर पर आंदोलनरत हैं।

गुरुवार को सभा को संबोधित करते हुए पूर्व गुरुजी श्री. मिंज ने कहा कि जल जंगल जमीन सिर्फ हमारी आजीविका ही नहीं बल्कि अस्तित्व एवं पहचान है । ग्राम खिरटी की शाकुंतल एक्का ने कहा कि जब हमारा क्षेत्र पांचवी अनुसूची में आता है जिसके तहत बिना ग्राम सभा की सहमति के कोई परियोजना नही लग सकती। फिर केन्द्र सरकार ग्राम सभा में सतत विरोध के बाद भी हमसे जल जंगल जमीन क्यों छीनना चाह रही है। क्या केंद्र में बैठी भाजपा सरकार को संविधान पर भरोसा नहीं है ?

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छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के कोरबा इकाई से जुड़े दीपक साहू ने कहा कि यदि आपको खनन परियोजना से विनाश देखना है तो कोरबा में आ कर देखिए। आज भी भूविस्थापित मुआवजा और नौकरी के लिए संघर्षरत हैं। कंपनियां शुरू में वादे करती हैं, लेकिन बाद में प्रशासन से जुड़ कर दमनात्मक कार्रवाई करती है। उन्होंने कहा कि यदि हसदेव का जंगल उजड़ गया तो न सिर्फ कोरबा बल्कि जांजगीर और बिलासपुर का भी आस्तित्व संकट में आ जाएगा।

हाल ही में दस गांव के सरपंचों ने मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर भूमि अधिग्रहण निरस्त करने मांग की थी। यहां तक की मोदी सरकार के इस गैर कानूनी कदम को रोकने हेतू विधानसभा अधयक्ष डा. चरणदास महंत भी पत्र लिख चुके है।

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