औरंगाबाद: महाराष्ट्र के भाजपा विधायक प्रशांत बांब और 15 अन्य के खिलाफ चीनी मिल से जुड़े एक मामले में किसानों द्वारा जमा किए गए नौ करोड़ रुपये से अधिक की राशि कथित रूप से अन्य लोगों के बैंक खातों में जमा करने का मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने यह जानकारी दी.

औरंगाबाद जिले के गंगापुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले बांब 2009 से गंगापुर से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं और गंगापुर सहकारी चीनी मिल के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया है.

एक अधिकारी ने बताया, ‘इस संबंध में बुधवार को कृष्णा पाटिल डोंगरेकर की शिकायत पर गंगापुर पुलिस थाने में विधायक के खिलाफ मामला दर्ज किया था.’

अधिकारी ने कहा कि बांब और 15 अन्य पर आईपीसी की 420, 406, 467, 468, 469, 471, 120-बी और अन्य के तहत मामला दर्ज किया गया है.

संपर्क किए जाने पर शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि बांब और 15 अन्य लोगों ने किसानों से एकत्र किए गए पैसे को दूसरे लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘यह राशि नौ करोड़ रुपये से अधिक है.’ हालांकि बांब ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के पीछे राजनीतिक मकसद है.

उन्होंने कहा, ‘पैसे स्थानांतरित करने की अनुमति किसानों ने दी थी.’ साथ ही विधायक ने कहा कि शिकायत दबाव में दर्ज की गई है.

उन्होंने कहा, ‘हम मिल चालू करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसमें अड़चनें पैदा की जा रही हैं.’

द हिंदू के मुताबिक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि विधायक प्रशांत बांब ने अन्य लोगों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके गंगापुर चीनी मिल की समिति के सदस्यों को धोखा दिया और 15.75 करोड़ तक की धोखाधड़ी की है.

कृष्ण पाटिल डोंगरेकर द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, चीनी मिल 2008 से ऋण न चुका पाने के कारण बंद हो गई थी, उसके बाद राज्य सरकार ने इसका नियंत्रण अपने कब्जे में ले लिया था.

इसके बाद तत्कालीन निदेशक मंडल ने संबंधित बैंक द्वारा चीनी मिल की बिक्री को रोकने के लिए स्थानीय अदालत में याचिका दायर की थी.

अदालती कार्यवाही के दौरान ही निदेशकों ने बकाया ऋण राशि (15.75 करोड़ से अधिक) जुटाया था. बाद में कारखाने की बिक्री रद्द कर दी गई थी.

अदालत ने मिल से बकाया ऋण राशि खाते में जमा करने का निर्देश दिया था. मिलसमिति के सदस्यों के एक वर्ग ने आरोप लगाया कि प्रशांत बांब और कार्यकारी निदेशक, बी.एम. पाटिल ने यह दिखाते हुए कि फैक्ट्री में साझेदारी थी, फंड की राशि को गबन कर दिया.

समिति के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि बांब और पाटिल ने अपनी साझेदारी को साबित करने के लिए नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था और राशि जमा करने के लिए एक स्थानीय बैंक के साथ अवैध खाते खोले थे.

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