धनबाद। कोरोनाकाल से मुश्किलों का सामना कर रहे धनबाद के हार्डकोक उद्योग को अब विदेशी कोयला भी नहीं मिल रहा है। हल्दिया-कोलकाता पोर्ट में विदेशी कोयले का स्टॉक नहीं है। उद्यमियों का कहना है कि बीसीसीएल से ई-ऑक्शन में जो कोयला मिलता है, वह हार्डकोक के लायक नहीं। पिछली दफा गुणवत्ता पर सवाल उठा उद्यमियों ने आरओएम कोयले के ऑक्शन में भाग भी नहीं लिया था। अब उद्योग के समक्ष कोयले का संकट हो गया है।

धनबाद के उद्यमी हल्दिया और कोलकाता पोर्ट से विदेशी कोयला लाते थे। वहां अब कोयले की कमी हो गई है। विशाखापत्तनम पोर्ट में विदेशी कोयला उपलब्ध है लेकिन ट्रांसपोर्टिंग खर्च ज्यादा होने की वजह से हार्डकोक उद्यमियों के लिए फायदेमंद नहीं है। अनलॉक के बाद धनबाद के काफी हार्डकोक उद्यमियों ने 50 फीसदी क्षमता के साथ भट्ठे को चालू किया था जो अब कोयला संकट का सामना कर रहे हैं।

एफएसए ही विकल्प, लॉ एंड ऑर्डर की भी समस्या : बीएन सिंह

हार्डकोक उद्यमियों का संगठन इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीएन सिंह ने कहा कि हार्डकोक उद्योग को बचाना है तो फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट ही एक मात्र विकल्प है। बीसीसीएल सीएमडी से मिले थे। उन्होंने कोल इंडिया को लिखा भी है। अब कोल इंडिया को चाहिए कि कोयलांचल में हजारों रोजगार सृजन करने वाले हार्डकोक उद्योग को बचाने के लिए नीतिगत निर्णय ले। पहले की तरह हार्डकोक उद्यमियों को स्टीम कोयला मिले। दूसरी समस्या लॉ एंड ऑर्डर की है। स्थिति इतनी खराब है कि सब जगह गोली-बम की बात हो रही है। इससे औद्योगिक माहौल कैसे ठीक होगा। लॉ एंड ऑर्डर की बहुत ही खराब स्थिति है।

देसी कोयला हार्डकोक लायक नहीं, विदेशी मिल नहीं रहा : अमितेश

जीटा अध्यक्ष अमितेश सहाय ने कहा कि देसी कोयला जो बीसीसीएल से मिल रहा, वह हार्डकोक लायक नहीं। विदेशी कोयला का स्टॉक है नहीं। हल्दिया और कोलकाता पोर्ट से प्रतिटन 1100 रुपए ट्रांसपोर्टिंग कास्ट पर विदेशी कोयला आता था। वहां अभी कोयला उपलब्ध नहीं है। विशाखापत्तनम से कोयला लाने पर ट्रांसपोर्टिंग खर्च तीन हजार के आसपास है। इतना महंगा कोयला लाने सै फायदा नहीं है। कोरोना के कारण हार्डकोक का फिलहाल डिमांड भी कम है। इसलिए बीसीसीएल जरूरतभर स्टीम कोयला दे तो ठीक अन्यथा ईंट उद्योग की तरह हार्डकोक का कोयलांचल से अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

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