कोरबा (आईपी न्यूज)। पैसा, भवन सहित अन्य व्यवस्थाएं और सुविधाएं एसईसीएल प्रबंधन मुहैया करा रहा, लेकिन मालिकाना हक डीएवी कालेज मैनेजिंग कमेटी जता रही। संपत्ति को खुद का बताने के अलावा वैधानिक कागजों में आर्थिक अनुदान के स्रोत को भी छुपाने का काम किया जा रहा है। industrialpunch.com को मिले दस्तावेज तो यही कहानी कहते हैं। यहां सवाल उठता है कि यदि प्रोजेक्ट हर साल डीएवी प्रबंधन को करोड़ों रुपए देते हैं तो इसका उल्लेख लीगल डाक्यूमेंट्स पर क्यों नहीं किया जा रहा है। इस संस्थान के कामकाज को लेकर कई पेंच नजर आ रहे हैं, जो डीवीए प्रबंधन को कटघरे में खड़ा करते हैं। डीएवी देश के 21 राज्यों में 900 से ज्यादा विद्यालयों, 75 महाविद्यालयों और विश्वविद्यालय का संचालन करने वाला एक अग्रणी शैक्षणिक संस्थान है। यहां बताना होगा कि संस्थान द्वारा संचालित अधिकांश स्कूल प्रोजेक्ट यानी औद्योगिक प्रतिष्ठानों के अंतर्गत हैं। डीएवी केवल स्कूल का प्रबंधन संभालता है। इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अन्य बुनयादी सुविधाएं, शिक्षकोें व स्टाॅफ का वेतन आदि सामग्री, अन्य कार्यों के खर्च का वहन न केवल संबंधित प्रोजेक्ट करते हैं बल्कि डीएवी प्रबंधन को हर साल करोड़ों रुपए की रायल्टी भी देते हैं। गंभीर बात यह है कि डीएवी प्रबंधन इन करोड़ों रुपए के स्रोत को अपने वैध दस्तावेज में अन्य आय के रूप में दर्शाता है। डीएवी कालेज मैनेजिंग कमेटी के रजिस्ट्रेशन का स्टेट्स कुछ और है, लेकिन कामकाज के तरीके एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह हैं। फिर प्रोजेक्ट डीएवी को किस रूप में करोड़ों रुपए देते हैं, यह भी स्पष्ट नहीं है। बहरहाल खबर की अगली कड़ी में इन सवालों का खुलासा किया जाएगा।

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