Rahul Sahu

जांजगीर-चांपा, 14 जून। मासूम राहुल को बोरवेल में फंसे पूरे चार दिन यानी 96 घंटे गुजर चुके हैं। उसे बचाने की हर कोशिश हो रही है। बचाव कार्य एक पल के लिए नहीं थमा है। बताया गया है कि राहुल की हालत बिगड़ रही है, लेकिन निगरानी कर रहे चिकित्सकों ने कहा कि उसकी धड़कन सामान्य है। कलेक्टर ने बताया कि उसने कल से कुछ नहीं खाया है।

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बताया गया है कि रेस्क्यू टीम राहुल से केवल डेढ़ फीट की दूरी पर है। बनाई गई टनल के भीतर लाइम स्टोन होने के कारण समय लग रहा था। टीम ने इसे तोड़ा और आगे बढ़ने पर एक और चट्टान बाधा बन गई।

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एनडीआरएफ के कमांड इन चीफ वर्धमान मिश्रा को चोट लगी है। मौके पर ही उनका उपचार किया गया।

खुदाई का बदला गया एंगल

दरअसल राहुल तक पहुंचने के लिए टनल तैयार करने के बाद खुदाई की दिशा थोड़ी बदली गई है। पहले तय किए गए एंगल में चट्टान बाधा बन रही थी। टनल के अंदर एक स्ट्रक्चर बनाया जा रहा है। इसे बल्लियों से सपोर्ट दिया जा रहा है। राहुल को लोकेट करने के लिए वीएलसी (विक्टिम लोकेशन कैमरा) का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही जहां राहुल है उसके नीचे के पत्थर को वाइब्रेटर से चिकना किया जा रहा है, ताकि राहुल को निकालने के दौरान उसे चोट न लगे।

सीएम ने कहा- हर गतिविधि पर बारीकी से नज़र रखी जा रही

मुख्यमंत्री ने कहा कि बोरवेल में फंसे राहुल को सकुशल बाहर निकालने के लिए जिला प्रशासन की पूरी टीम अलर्ट मोड पर है। हर गतिविधि पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है। उन्होंने कहा मामला संवेदनशील है इसलिए रेस्क्यू टीम पूरी सावधानी से आगे बढ़ रही है। चट्टानों का मुकाबला हम अपने फौलादी इरादों से कर रहे हैं।

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शुक्रवार दोपहर 2 बजे बोरवेल में गिरा था राहुल

यहां बताना होगा कि छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के पिहरिद गांव का राहुल साहू, लगभग 11 साल, पिता लाला साहू रोज की तरह दोपहर में घर के पीछे अपनी ही बाड़ी में खेल रहा था। शुक्रवार दोपहर 2 बजे के बाद से उसका कुछ पता नहीं चला है। परिजन भी इस बात से बेखबर थे। उन्हें इस बारे में तब पता चला, जब घर के ही कुछ लोग बाड़ी की तरफ गए। उस दौरान राहुल के रोने की आवाज आ रही थी। गड्ढे के पास जाकर देखने पर पता चला कि आवाज अंदर से आ रही है। बोरवेल का गड्ढा 80 फीट गहरा है। बच्चा मूक- बधिर है और मानसिक रूप से कमजोर है। राहुल अपने मां-बाप का बड़ा बेटा है वहीं भाई उससे 2 साल छोटा है। पिता की गांव में बर्तन की दुकान है।

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