कोयला उत्पादन में 6 करोड़ 10 लाख टन की वृ्द्धि, बिजली क्षेत्र में आयात 40 % घट गया

कोयला आयात 2019-20 में 24 करोड़ 80 लाख टन के शिखर पर पहुंच गया थाI अगले दो वर्षों 2020-21 के दौरान यह लगातार घटकर 21 करोड़ 50 लाख मीट्रिक टन और 2021-22 में 20 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन रह गया।

नई दिल्ली, 02 जून।  भारत के पास एक संतुलित ऊर्जा बास्केट है और देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में कोयला क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। यह क्षेत्र न केवल देश में कोयले की मांग को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है बल्कि एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के प्रति भी संवेदनशील है। कोयला बिजली, उर्वरक, लोहा और इस्पात तथा सीमेंट क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट भी है।

कोयला आयात 2019-20 में 24 करोड़ 80 लाख टन के शिखर पर पहुंच गया थाI अगले दो वर्षों 2020-21 के दौरान यह लगातार घटकर 21 करोड़ 50 लाख मीट्रिक टन और 2021-22 में 20 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन रह गया।

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कोयले की वास्तविक मांग 2019-20 में 95 करोड़ 60 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2021-22 में 01 अरब 27 करोड़ मीट्रिक टन होने के बावजूद कोयले का आयात नहीं बढ़ा है। 2009-10 से 2013-14 की अवधि के दौरान कोयला आयात 22.86 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा। इस सीएजीआर के हिसाब से कोयले का आयात 2020-21 में 70 करोड़ 50 लाख मीट्रिक टन और 2021-22 में 86 करोड़ 60 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया होता। पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हुई घरेलू आपूर्ति को निरंतर बनाए रखने के द्वारा ही कोयले के आयात को रोका जा सकता है।

अखिल भारतीय कोयला उत्पादन 2020-21 में 71 करोड़ 60 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2021-22 में 77 करोड़ 77 लाख मीट्रिक टन हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन में 6 करोड़ 10 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है। इसलिए 2020-21 में 90 करोड़ 60 लाख मीट्रिक टन से 2021-22 में 01 अरब 27 करोड़ मीट्रिक टन टन कोयले की वास्तविक मांग में भारी वृद्धि के बावजूद 2020-21 में घरेलू आपूर्ति के 69 करोड़ 10 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2021-22 में 81 करोड़ 80 लाख मीट्रिक टन तक हो जाने के कारण ही कोयले के आयात को नियंत्रित किया जा सका है।

घरेलू प्रेषण न केवल बिजली क्षेत्र में बल्कि गैर-विद्युत क्षेत्र में भी 2020-21 के 10 करोड़ 10 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2021-22 में 10 करोड़ 40 लाख मीट्रिक टन हो गया है।

2021-22 के दौरान कोयले के आयात में गिरावट मुख्य रूप से बिजली क्षेत्र द्वारा आयात में कमी के कारण है जो 2020-21 में 4 करोड़ 50 लाख मीट्रिक टन से घटकर 2021-22 में 2 करोड़ 70 लाख मीट्रिक टन हो गईI यह लगभग 40% की गिरावट है। यदि हम 2021-22 में बिजली क्षेत्र द्वारा कोयले के आयात की तुलना 2019-20 के पूर्व-कोविड वर्ष से करें, जब आयात 6 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन था तब तो गिरावट अधिक तीव्र है।

यह इस तथ्य के बावजूद है कि देश में कुल तापीय बिजली उत्पादन 2021-22 में बढ़कर 1115 बीयू हो गया जो 2020-21 में 1032 बीयू था। यह निरपेक्ष रूप से 83 बीयू की वृद्धि और प्रतिशत के संदर्भ में लगभग 8% है ।

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2021-22 के दौरान 11.65% की वृद्धि के साथ कोकिंग कोल का आयात 5 करोड़ 70 लाख मीट्रिक टन था जिसका बड़े पैमाने पर इस्पात क्षेत्र में उपयोग किया जाता है। हालांकि 2019-20 के पूर्व-कोविड वर्ष की तुलना में कोकिंग कोल आयात में लगभग 10% की वृद्धि हुई है। गैर-विनियमित क्षेत्र (सीमेंट, स्पंज आयरन और पेपर आदि) द्वारा आयातित कोयला 2021-22 में बढ़कर 12 करोड़ 50 लाख मीट्रिक टन हो गया जो 2020-21 के 11 करोड़ 90 लाख मीट्रिक टन में 5.23% से अधिक की वृद्धि है।

2019-22 के पूर्व – कोविड वर्ष की तुलना में जब गैर-विनियमित क्षेत्र द्वारा आयात 12 करोड़ 70 लाख मीट्रिक टन था तब इस क्षेत्र द्वारा आयात वास्तव में 2021-22 में घटा है। इस प्रकार 2021-22 के दौरान गैर-विद्युत क्षेत्र द्वारा कोयले के आयात में वृद्धि का कारण गैर-विनियमित क्षेत्र द्वारा मुख्य रूप से कोकिंग कोयले और अन्य प्रकार के कोयले के आयात में वृद्धि तथा उस गैर-विनियमित क्षेत्र द्वारा कोयले के आयात में वृद्धि के कारण है जो बड़े पैमाने पर उच्च ग्रेड थर्मल कोयले का आयात करते हैं। इन दोनों श्रेणियों के कोयले की आपूर्ति देश में सीमित ही है।

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