नई दिल्ली, 05 मई।  कोयला मंत्रालय (Coal Ministry) के अपर सचिव एम. नागराजू की अध्यक्षता में कोयला कंपनियों की फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (first mile connectivity) परियोजनाओं की प्रगति का आकलन करने के लिए समीक्षा बैठक हुई। कोयला मंत्रालय 67 एफएमसी परियोजनाओं (59-सीआईएल, 5-एससीसीएल और 3- एनएलसीआईएल) के साथ प्रति वर्ष 885 एमटी कोयला लोड करने की क्षमता के साथ काम करता है। ये परियोजनाएं 2027 तक पूरी हो जाएंगी।

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खानों से कोयले के सड़क द्वारा ढुलाई को खत्म करने के लिए मंत्रालय ने FMC परियोजना के तहत मशीनीकृत कोयला ढुलाई और लोडिंग प्रणाली में सुधार की योजना विकसित की है। क्रशिंग, कोयले का आकार, और त्वरित कंप्यूटर-असिस्टेड लोडिंग कोल हैंडलिंग प्लांट्स (CHP) और रैपिड लोडिंग सिस्टम वाले एसआईएलओ के फायदे हैं।

कम मानवीय हस्तक्षेप, सटीक पूर्व-तौलित मात्रा, तेज लोडिंग, और बेहतर कोयले की गुणवत्ता – ये सभी एफएमसी परियोजनाओं के लाभ हैं। लदान समय कम होने पर रेक और वैगन अधिक आसानी से उपलब्ध होंगे। सड़कों पर कम ट्रैफिक होने की वजह से प्रदूषण कम होगा और डीजल की खपत भी कम होगी।

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कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2025 में 1.3 बिलियन टन और वित्त वर्ष 2030 में 1.5 बिलियन टन कोयला उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा है ताकि भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाया जा सके और आयातित कोयले की जगह घरेलू रूप से खनन किए गए कोयले को प्रतिस्थापित करके आत्मनिर्भर भारत की तरफ कदम बढ़ाया जा सके। एक प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल, त्वरित और लागत प्रभावी कोयला परिवहन का विकास है।

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