गुरुग्राम : कैंसर (Cancer) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के मकसद से, फोर्टिस हैल्थकेयर (Fortis Healthcare) ने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ‘राइड फॉर कैंसर’ बाइक रैली को झंडी दिखायी। इस मौके पर आयोजित समारोह का नेतृत्व श्री अनिल विनायक, ग्रुप सीओओ, फोर्टिस हैल्थकेयर ने कैंसर सरवाइवर्स, फोर्टिस के सीनियर क्लीनिशयंस और अन्य सीनियर लीडरशिप की मौजूदगी में किया।

इस रैली में 70 से ज्यादा हार्ले डेविडसन राइडर्स हिस्सा ले रहे हैं जिनमें कुछ कैंसर सरवाइवर्स भी हैं। रैली का आयोजन लोगों को शीघ्र रोग का निदान करने के महत्व, इलाज के उपलब्ध विकल्पों और इस रोग पर विजय प्राप्त करने के लिए जरूरी ताकत के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया गया है।

फोर्टिस गुरुग्राम से रवाना होकर ये बाइकर्स फोर्टिस मोहाली पहुंचे जहां अस्पताल के सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट्स, हॉस्पीटल स्टाफ और फोर्टिस मैनेजमेंट ने उनका स्वागत करते हुए कैंसर केयर के प्रति अस्पताल की प्रतिबद्धता दोहरायी। बाइकर्स का यह कारवां फोर्टिस मोहाली के बाद फोर्टिस लुधियाना पहुंचा जहां उन्होंने अस्पताल परिसर का दौरा किया और फिर अगली मंजिल की तरफ बढ़ चले। यहां से अमृतसर पहुंचने के बाद रैली संपन्न हुई।

 

डॉ अंकुर बहल,सीनियर डायरेक्टर, मेडिकल ऑन्कोलॉजी एंड हेमेटोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा, “इस जागरूकता अभियान के लिए गुड़गांव से अमृतसर तक की रैली में भाग लेने वाले बाइकर्स के हौंसलों और उत्साह को देखना वाकई प्रेरणास्पद रहा। इसके लिए उनके समर्पण ने एक बार फिर कैंसर रोग के शीघ्र निदान, प्रभावी इलाज और कैंसर से लड़ने के लिए जरूरी जज़्बे के महत्व को रेखांकित किया है।”

अनिल विनायक, जीसीओओ, फोर्टिस हैल्थकेयर ने भी कैंसर के खिलाफ लड़ाई में शीघ्र निदान पर ज़ोर देते हुए हैल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “इस बाइक रैली ने भारत में कैंसर के प्रसार के बारे में लोगों को जागरूक बनाने का प्रयास करने के साथ-साथ लोगों को जल्द से जल्द डायग्नॉसिस और रैग्युलर स्क्रीनिंग के महत्व के बारे में संदेश दिया है। यह रैली कैंसर सरवाइवर्स और कैंसर मरीजों को प्रेरित तथा उन्हें सपोर्ट के मकसद से आयोजित की गई थी। इसके जरिए उनके साहस और उनकी संकल्पशक्ति को सामने लाने की कोशिश की गई है।

साथ ही, इसने कम्युनिटी की भागीदारी का भी संदेश दिया, यह दरअसल, सिर्फ एक इवेंट न होकर कैंसर के मामले में जागरूक समाज तैयार करने के लिए एक अभियान की शुरुआत है। ‘राइड फॉर कैंसर’ के मार्फत उम्मीद, ताकत और कैंसर पर जीत हासिल के लिए सामूहिक संकल्पशक्ति को प्रदर्शित किया गया है। फोर्टिस की प्रतिबद्धता और हार्ले डेविडसन कम्युनिटी के सपोर्ट ने कैंसर के खिलाफ युद्ध का जबर्दस्त संदेश दिया है। इस रैली के जरिए आयोजकों और प्रतिभागियों ने सिर्फ जागरूकता हीं नहीं फैलायी बल्कि एक ऐसे भविष्य का सपना भी दिखाया है जहां कैंसर डराने वाले दुश्मन के रूप में कहीं नहीं होगा।”

रैली में भाग लेने वाले कैंसर सरवाइवर सिद्धार्थ घोष, जिन्हें फ्लाइंग सिद्धार्थ के नाम से जाना जाता है, का कहना है – “मैं पूरी जिंदगी भागता रहा हूं, क्रिकेट के मैदान से लेकर स्कूल में फुटबॉल फील्ड तक और मैं करीब दशक से भी अधिक समय तक मैराथन धावक रह चुका हूं। लेकिन फिर अचानक जिंदगी ने जैसे एक चुनौती मेरी तरफ उछाली और मुझे किडनी कैंसर का मरीज बना दिया। मेरी भागती-दौड़ती जिंदगी एकाएक रुक गई और मैं इस रोग के खिलाफ संग्राम में जुट गया। हालांकि शुरू में जब कैंसर का पता चला था तो मुझे काफी झटका लगा। यहां तक कि जिस दिन कैंसर डायग्नॉज़ हुआ उससे कुछ ही समय पहले मैंने एक मैराथन पूरी की थी और उससे एक दिन पहले एक कार्पोर्रेट क्रिकेट मैच में भाग लिया था। मैंने कुछ टैस्ट करवाए थे और मुझे पेशाब में खून दिखायी दिया था। जांच में डॉक्टरों ने पाया कि मेरी दायीं किडनी का आकार एक गोल्फ बॉल से भी अधिक बड़ा था। कैंसर की ग्रोथ इतनी फैली ज्यादा की पूरी किडनी को ढक चुकी थी। यहां से रिकवरी की दौड़ शुरू हुई जिसे तीन से चार महीने का समय लिया और तब कहीं जाकर मैं ठीक से चलने-फिरने लायक हो पाया। सर्जरी के करीब आठ महीने के बाद मैंने हाफ मैराथन दौड़ी। और ठीक एक साल के बाद, जनवरी 2015 में मैंने फुल मैराथन में भाग लिया जहां मुझे सबसे बड़ा पुरस्कार मिला – मुझे फ्लाइंग सिड कहा गया, यह मिल्खा सिंह के टाइटल फ्लाइंग सिख की तर्ज पर दिया गया था और वाकई काफी सम्मानजनक था। 2019 में अपने कैंसर के सफर के 5 साल पूरे होने पर मैंने एक किताब लिखी – कैंसर ऍज़ आइ नो इट’ जिसे दुनिया के 13 देशों में लॉन्च किया गया।

एक अन्य बाइक राइडर संजय डावर भी कैंसर सरवाइवर हैं और वह उत्साही सामाजिक कार्यकर्ता, फिटनैस प्रेमी, लॉन टेनिस प्लेयर भी हैं। कुछ साल पहले जब उन्हें कैंसर डायग्नॉज़ हुआ तब उनकी इन सारी भूमिकाओं पर ब्रेक लग गया। अपने अनुभवों के बारे में संजय ने बताया, “2017 में मुझे लिंफोमा कैंसर डायग्नॉज़ हुआ था। उसके बाद कीमोथेरेपी, रेडिएशन और अन्य कई साइड इफेक्ट्स मेरी जिंदगी में शामिल हो गए। लेकिन शारीरिक तकलीफों से भी ज्यादा मानसिक संघर्ष था क्योंकि मुझे अपनी हर गतिविधि पर रोक लगानी पड़ी थी। लेकिन मेरे हौंसले, और मानिसक ताकत तथा शरीर एवं जज़्बे ने कैंसर को शिकस्त देने में मदद दी। और करीब एक साल में मैं कैंसर से मुक्त हो गया। आज मैं एक बार फिर सोशल वर्कर के तौर पर सक्रिय हूं और ओल्ड एज होम्स, अनाथालयों, लड़कियों की पढ़ाई, हीलर और कैंसर मरीजों तथा उन कैंसर सरवाइवर्स की भलाई के लिए काम करने में जुटा जिन्हें मेडिकल गाइडेंस तथा इमोशनल सपोर्ट की जरूरत है।”

उल्लेखनीय है कि इस बाइक रैली में भाग लेने वाले सभी फोर्टिस अस्पतालों में फोर्टिस कैंसर इंस्टीट्यूट कार्यरत हैं, जिनमें कैंसर के उपचार के लिए उन्नत टैक्नोलॉजी उपलब्ध है और साथ ही सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट्स की समर्पित टीम तैनात है जो मरीजों के लिए पूरी देखभाल सुनिश्चित करते हैं जिनमें बचाव से लेकर स्क्रीनिंग और पैलिएटिव केयर तथा पोस्ट-ट्रीटमेंट सपोर्ट शामिल हैं।

कैंसर दुनियाभर में रुग्णता और मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। भारत में 2012 में 1.01 मिलियन कैंसर के नए मामले सामने आए और 0.68 मिलियन मौतें हुईं। अगले 2 दशकों में नए मामलों में करीब 70 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी होने का अनुमान है और यह रोग दुनियाभर में मौतों का दूसरा प्रमुख कारण बन जाएगा।

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