भारत विश्व में बन सकता है ग्रीन हाइड्रोजन का हब: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, 2030 तक अपनी इंस्टॉन एनर्जी कैपेसिटी का 50 प्रतिशत हमें नॉन फॉसिल एनर्जी से हासिल करना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सतत विकास के लिए ऊर्जा पर एक वेबिनार को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने जोर देते हुए कहा कि एनर्जी फोर सस्टेनेबल ग्रोथ हमारी पुरातन परंपराओं से भी प्रेरित है और भविष्य की आवश्यकताओं, आकांक्षाओं की पूर्ति का मार्ग भी। भारत का क्लियर विजन सस्टेनेबल ग्रोथ सस्टेनेबल एनर्जी सोर्सेज से ही संभव है।
लॉन्ग रन तक चलने वाली एनर्जी

इसके आगे पीएम मोदी ने कहा ग्लासगो में हमें 2070 तक नेट जीरो के स्तर तक पहुंचने का वादा किया है। मैंने COP26 में सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को बढ़ावा देने के लिए भी लाइफ मिशन की बात कही थी। यानि लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरमेंट का विजन सामने रखा था। हम इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसे ग्लोबल कोलेबोरेशन को नेतृत्व भी दे रहे हैं। नॉन फॉसिल एनर्जी कैपेसिटी में हमारा टारगेट अपने लिए फाइव हंड्रेड गीगावॉट है।

2030 का मिशन

पीएम मोदी ने कहा, 2030 तक अपनी इंस्टॉन एनर्जी कैपेसिटी का 50 प्रतिशत हमें नॉन फॉसिल एनर्जी से हासिल करना है। भारत ने अपने लिए जो भी टारगेट सेट किए हैं, उसे मैं एक चैंलेज की तरह नहीं, बल्कि एक अपॉरच्युनिटी की तरह देखता हूं। इसी वीजन पर भारत बीते वर्षों से चल रहा है और इस बजट में इनको पॉलिसी लेवल पर और आगे बढ़ाया गया है।

सोलर मॉड्यूल मैन्यूफैक्चरिंग के लिए साढ़े 19 हजार करोड़

इस बजट में सोलर एनर्जी की दिशा में हाइ एफिसिएंशी सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग के लिए साढ़े 19 हजार करोड़ रुपए की घोषणा की गई है। इसे सोलर मोड्यूल्स और इससे जुड़े प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग और R&D में भारत को ग्लोबल हब बनाने में मदद मिलेगी।

भारत के पास प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रिन्यूएबल एनर्जी पावर

पीएम मोदी ने कहा, हमने ”नेशनल हाइड्रोजन मिशन” की भी घोषणा की है। भारत के पास प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रिन्यूएबल एनर्जी पावर के रूप में एक इन हेरिटेज एडवांटेज है। इससे भारत विश्व में ग्रीन हाइड्रोजन का हब बन सकता है। हाइड्रोजन इकोसिस्टम फर्टिलाइजर, रिफाइनरी और ट्रांसपोर्ट सेक्टर से इंटरकनेक्टेड है। एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें प्राइवेट सेक्टर द्वारा इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि भारत की पूरी क्षमता का उपयोग किया जा सके।

रिन्यूएबल एनर्जी के साथ एक बड़ा चैलेंज

पीएम मोदी ने कहा, रिन्यूएबल एनर्जी के साथ एक बड़ा चैलेंज एनर्जी स्टोरेज को लेकर भी है। इसके लिए भी सॉल्यूशन तलाशने के लिए बजट में स्टोरेज कैपेसिटी में ग्रोथ को बनाए रखने वाली बड़ी प्रायॉरिटी दी गई है। इस वर्ष के बजट में बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी और इंटर ऑपरेबिलिटी स्टैंडर्ड के बारे में प्रावधान किए गए हैं। इनसे भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल में आने वाली दिक्कतें कम होंगी। प्लग-इन चार्जिंग में ज्यादा समय और ज्यादा कीमत लगती है क्योंकि ईवी की कीमत में 40-50 % बैटरी की कीमत होती है इसलिए स्वैपिंग से इलेक्ट्रिक व्हीकल की अपफ्रंट कॉस्ट कम हो जाएगी।

सस्टेनेब्लिटी के लिए एनर्जी प्रोडक्शन एनर्जी सेविंग भी जरूरी

पीएम मोदी ने कहा, ऐसे ही चाहे मोबाइल की बैटरी हो या फिर सोलर पावर स्टोरेज इस क्षेत्र में अभी भी बहुत सी संभावनाएं हैं। इन पर भी मैं समझता हूं कि हम सब मिलकर काम कर सकते हैं। सस्टेनेब्लिटी के लिए एनर्जी प्रोडक्शन के साथ ही एनर्जी सेविंग भी उतनी ही आवश्यक है। हमारे देश में और अधिक एनर्जी एफिशिएंट AC कैसे बनें। अधिक एनर्जी एफिशिएंसी हीटर, गीजर, ओवन कैसे बनें इस बारे में बहुत कुछ करने की आवश्यकता लगती है। जहां भी बिजली की खपत ज्यादा है वहां एनर्जी एफिशिएंट प्रोडक्ट का निर्माण हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए।

LED बल्ब का उत्पादन बढ़ाया

पीएम मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा, जब 2014 में हमारी सरकार आई तब LED बल्ब की कीमत 300 से 400 रुपए तक होती थी। हमारी सरकार ने LED बल्ब का प्रोडक्शन बढ़ाया और प्रोडक्शन बढ़ने से स्वाभाविक था कि LED बल्ब की कीमत 70 से 80 रुपए तक नीचे आई। उजाला योजना के तहत हमने देश में करीब-करीब 37 करोड़ एलईडी बल्ब बांटे हैं। इससे लगभग 48 हजार मिलियन किलोवाट आवर बिजली बची है। हमारे गरीब और मध्यम वर्ग का सालाना करीब 20 हजार करोड़ रुपए का बिजली बिल भी बचा है और प्रति वर्ष करीब 4 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ है।

गौरतलब हो, भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता वृद्धि के मामले में सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है। पिछले 7.5 वर्षों के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता 2.9 गुना और सौर ऊर्जा की क्षमता 18 गुना से भी अधिक बढ़ गई है। भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी को सुविधाजनक बनाने और भावी आवश्यकताओं के लिए ग्रिड को नया स्वरूप प्रदान करने के लिए हरित ऊर्जा कॉरिडोर (जीईसी) परियोजनाएं शुरू की गई हैं। केंद्र सरकार की और से इस दिशा में प्रगति के लिए लगातार प्रयास जारी है।

ज्ञात हो, COP26 में पीएम मोदी द्वारा प्रस्तुत पंचामृत कार्यनीति के अनुरूप इस बजट में कार्बन के कम उत्‍सर्जन से जुड़ी रणनीति को बढ़ावा देकर देश की ऊर्जा रूपांतरण यात्रा को रेखांकित किया गया है। इस नीति से देश, अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को स्थायी रूप से पूरा करने में सक्षम बनेगा।

सोशल मीडिया पर अपडेट्स के लिए Facebook (https://www.facebook.com/industrialpunch) एवं Twitter (https://twitter.com/IndustrialPunchपर Follow करें …

 

  • Website Designing