23 जून, (IP News Desk) : महाराष्ट्र जैसे देश के बड़े राज्य की सियासी उठापटक में ठहराव नहीं आ रहा है। मंत्री और शिवसेना के कद्दावर माने जाने वाले नेता एकनाथ शिंदे की पार्टी के आधे से ज्यादा विधायकों के साथ की गई बगावत की पटकथा भाजपा ने लिखी है, यह तो साफ नजर आ रहा है। बावजूद इसके भाजपा वेट एंड वॉच की नीति अपनाए हुए है। दरअसल इस नीति पर चलने का कारण शरद पवार हैं।

भाजपा को राजनीति के चतुर खिलाड़ी शरद पवार की पॉवर का पता है। यही वजह है कि शिवसेना में बड़ी फूट के बाद भी उद्धव ठाकरे को हटाकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने में भाजपा जल्दबाजी नहीं कर रही है।

23 नवंबर, 2019 की तारीख सभी को याद होगी। सुबह के अखबारों की हेडलाइन थी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे होंगे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री। साथ ही टीवी पर आ रही खबरों में भाजपा के देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। उनके पीछे एनसीपी के नेता अजीत पवार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेते दिख रहे थे। पूरे महाराष्ट्र में कश्मकश की स्थिति बन गई और लोग हैरान थे।

इधर, सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही कहा कि शाम 5 बजे तक फडणवीस को फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा, इसके बाद तो भाजपा को 440 वोल्ट का करंट लग गया। यानी शरद पवार ने बाजी पलट दी थी। सबसे पहले अजीत पवार ने इस्तीफा दिया, इसके बाद फडणवीस ने। अजीत अपने चाचा शरद पवार के साथ आ खड़े हुए थे। फिर उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

बताया जा रहा है ढाई साल बाद आए इस सियासी संकट में उद्धव ठाकरे शरद पवार से सलाह मश्वरा कर हैं। भाजपा इस दफे फूंक- फूंक कर कदम रख रही है।

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