कोयला कामगारों में न्यूमोकोनियोसिस रोग को लेकर मंत्री प्रल्हाद जोशी ने ये जवाब दिया

कोयला खदानों में काम करने वाले कामगारों में ब्लैक लंग रोग यानी न्यूमोकोनियोसिस को लेकर राज्यसभा में सवाल किया गया। सरकार से पूछा गया कि 2017 से लेकर अब तक न्यूमोकोनियोसिस के कितने के केस मिले हैं।

नई दिल्ली, 06 अप्रेल। कोयला खदानों में काम करने वाले कामगारों में ब्लैक लंग रोग यानी न्यूमोकोनियोसिस को लेकर राज्यसभा में सवाल किया गया। सरकार से पूछा गया कि 2017 से लेकर अब तक न्यूमोकोनियोसिस के कितने के केस मिले हैं।

इसे भी पढ़ें : कोल इंडिया : JBCCI की चौथी बैठक की सूचना हुई जारी

केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने जानकारी दी कि 2017 से लेकर 2021 तक न्यूमोकोनियोसिस के कुल नौ केस मिले हैं। इनमें 7 केस तेलंगाना स्थित सिंगरेनी कोलियरिज कंपनी लिमिटेड (SCCL) और 2 मामले महानदी कोलफील्ड्स (MCL) के हैं।

कोयला मंत्री ने बताया कि खदानों में कार्यरत कामगारों में ब्लैक लंग रोग जिसे कोल वर्कर्स न्यूमोकोनियोसिस के रूप में भी जाना जाता है का पता लगाने के लिए सतर्क हैं। निर्धारित अंतर अंतराल पर सभी कामगारों की सावधानी पूर्वक जांच करते हैं।

खदानों में धूल की जोखिम सीमा

कोयला मंत्री ने बताया कि खान अधिनियम 1952 के तहत बनाए गए कोयला खान विनियमन (सीएमआर)- 2017 में जमीन के नीचे या कोयला खानों की सतह पर स्थित किसी भी कार्यस्थल के लिए श्वसनयोग्य धूल हेतु जोखिम सीमा निर्धारित की गई है।

इसे भी पढ़ें : निजीकरण : टॉरंट पावर ने दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव में बिजली वितरण कार्यों का किया अधिग्रहण

वायु के प्रति घनमीटर मिलीग्राम में वायु जनित श्वसन योग्य धूल की 8 घंटे की सीमा भारित औसत सांद्रता की सीमा कोयला खान विनियम 2017 के विनियम संख्या 143 के अनुसार निर्धारित है। ऐसी सीमा 2 से अधिक नहीं होगी जहां काम पूरी तरह से कोल सीम में किया जाता है या अन्य मामलों में जहां मौजूद मुक्त श्वसनयोग्य सिलिका 5 प्रतिशत से कम हो और मौजूद मुक्त श्वसनयोग्य सिलिका के प्रतिशत के साथ 10 की संख्या में विभाजित करके मूल्य प्राप्त किया गया हो।

सोशल मीडिया पर अपडेट्स के लिए Facebook (https://www.facebook.com/industrialpunch) एवं Twitter (https://twitter.com/IndustrialPunchपर Follow करें …

  • Website Designing