नई दिल्ली, 06 फरवरी। सरकारी कर्मचारियों के मध्य पुरानी पेंशन योजना (OPS) एक बड़ा मुद्दा है। खासकर कांग्रेस व आप ने बीते कुछ राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने को अपने घोषणा पत्र में सम्मिलित किया था। कांग्रेस ने अपने शासित प्रदेश राजस्थान, छत्तीसगढ़ में इसे लागू किया। हिमाचल प्रदेश का चुनाव जीतने के बाद यहां भी इस लागू किया गया। इसी तरह झारखण्ड में सोरेन सरकार ने तथ पंजाब जीतने के आप पार्टी ने पुरानी पेंशन योजना को लागू किया।

इधर, लोकसभा के बजट सत्र में पुरानी पेंशन योजना को लेकर सांसद भर्तृहरि महताब सरकार द्वारा लिखित सवाल पूछा गया। क्या देश के कतिपय राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) कार्यान्वित की जा रही है? यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और इस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया है? क्या ओपीएस का राज्य सरकार के राजकोष पर प्रभाव पड़ने की संभावना है? क्या ओपीएस के कारण अतिरिक्त वित्तीय भार से राज्य सरकारों के कर्ज में वृद्धि होने की संभावना है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और इस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया है? पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा इस संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं?

वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने यह जवाब प्रस्तुत किया :

राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारों ने अपने राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को पुनः आरंभ किए जाने के अपने निर्णय के बारे में केंद्रीय सरकार/पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को सूचित किया है।

पीएफआरडीए (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत निकास और प्रत्याहरण) विनियम, 2015 के साथ पठित पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2013 के अंतर्गत और अन्य संबंधित विनियमों के द्वारा एनपीएस में उपिचत राशि सहित अभिदाताओं के संचित कार्पस अर्थात् सरकारी अंशदान और कर्मचारियों के अंशदान, दोनों को संग्रिहत किया जाता है, को राज्य सरकार को लौटाए जाने और उसे वापस जमा कराए जाने का कोई उपबंध नहीं है।

’राज्य वित्तः 2022-23 के बजट का एक अध्ययन’ नामक भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार पुरानी पेंशन योजना को अपनाने के कारण राजकोषीय संसाधनों में वार्षिक बचत अल्पावधिक होगी। वर्तमान व्यय को भविष्य के लिए स्थगित करने से राज्यों पर आने वाले वर्षों में गैर-वित्तपोषित पेंशन देयताओं के बढ़ने का जोखिम होगा।

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