नई दिल्ली, 24 जुलाई। राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद ने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है कि राष्‍ट्र 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने की पूरी तैयारी कर रहा है। राष्‍ट्र के नाम अपने विदाई संदेश में श्री कोविंद ने आश्‍वस्‍त किया कि भारत का भविष्‍य सुरक्षित है क्‍योंकि इसका प्रत्‍येक नागरिक भारत को निरंतर बेहतर बनाने के प्रयास कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि देश अगस्‍त में स्‍वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनायेगा और अमृतकाल में प्रवेश करेगा, जहां से स्‍वतंत्रता की सदी पूरी होने में 25 वर्ष शेष रहेंगे। उन्‍होंने कहा कि ये वर्षगांठ गणराज्‍य की यात्रा में मील का पत्‍थर होती हैं और विश्‍व को सर्वोत्‍कृष्‍ट देने की उसकी क्षमता को उजागर करती हैं।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि आधुनिक काल में हमारे देश की गौरव यात्रा का आरंभ ब्रिटिश हुकुमत के दौरान राष्‍ट्रवादी भावनाओं के जागरण और स्‍वतंत्रता आंदोलन के साथ हुआ। 19वीं सदी के दौरान समूचे देश में स्‍वतंत्रता के लिए अनेक विद्रोह हुए। उन्‍होंने कहा कि देशवासियों में नई आशा का संचार करने वाले ऐसे कई क्रांतिवीरों के नाम भुला दिये गये थे। अब उनकी वीर गाथाओं को आदर सहित याद किया जा रहा है।

श्री कोविंद ने कहा कि 1915 में जब गांधी जी स्‍वदेश लौटे उस समय राष्‍ट्रीयता की भावना और भी प्रबल हो रही थी। उन्‍होंने कहा कि अनेक महान जननायकों की उज्‍ज्वल आकाशगंगा का जैसा प्रकाश हमारे देश को 20वीं सदी के प्रारम्भिक दशकों में प्राप्‍त हुआ, वह विश्‍व इतिहास में अतुलनीय है। उन्‍होंने कहा कि जहां एक ओर गुरूदेव रविन्‍द्रनाथ टैगोर हमारी सांस्‍कृतिक विरासत से देशवासियों को फिर से जोड रहे थे, वहीं दूसरी ओर बाबा साहेब भीमराव आम्‍बेडकर समानता के आदर्श की ऐसी पुरजोर वकालत कर रहे थे जैसा अधिकांश विकसित देशों में भी दिखाई नहीं दिया। राष्‍ट्रपति ने तिलक और गोखले से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल और श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर सरोजनी नायडु और कमलादेवी चट्टोपध्‍याय तक अनेक विभूतियों का स्‍मरण किया और एक साझा लक्ष्‍य के लिए उनकी तत्‍परता की सराहना की।

श्री कोविंद ने कहा कि देश के लोकतांत्रिक मार्ग की रूपरेखा संविधान सभा ने तैयार की इसमें 15 उल्‍लेखनीय महिलाओं सहित देशभर की प्रतिभाएं शामिल थीं।

श्री कोविंद ने जोर देकर कहा कि देश के पूर्वजों और संस्थापकों ने न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के साथ कड़े परिश्रम और सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को अनिवार्य रूप से उनका अनुसरण करना चाहिए और इन पर अग्रसर होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि मुख्य लक्ष्य नागरिकों का खुशहाल जीवन होना चाहिए जिसमें उनकी आधारभूत आवश्यकताएं पूरी हो सकें। उन्होंने कहा कि सरकार प्रत्येक परिवार को बेहतर आवास और पेयजल तथा बिजली उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन बिना किसी भेदभाव के विकास और सुशासन से संभव हुआ है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवा भारतीयों को उनकी विरासत से जोड़ेगी और 21वीं सदी में उन्हें मजबूती प्रदान करेगी। स्वास्थ्य़ देखभाल सेवाओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कोविड महामारी ने जनस्वास्थ्य देखभाल की बुनियादी सुविधाओं में और सुधार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि यह कार्य करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि एक बार शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में सुधार होने के बाद आर्थिक सुधार नागरिकों के जीवन को उत्तम बनाएंगे।

अपने बचपन को याद करते हुए श्री कोविंद ने कहा कि जब वह बड़े हो रहे थे, तो भारत को आज़ादी मिले कुछ ही समय हुआ था। उन्होंने कहा कि एक कच्चे घर में रहने वाला बालक भारतीय गणराज्य के सर्वोच्च संवैधानिक पद के बारे में कुछ नहीं जानता था। उन्होंने कहा कि यह देश के जीवंत लोकतांत्रिक संस्थानों की शक्ति है कि परौंख गांव का राम नाथ कोविंद राष्ट्रपति बन सका। उन्होंने कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान अपने गांव गए और कानपुर में अपने अध्यापकों के चरण छुए। उनका आशीर्वाद लेना एक स्मरणीय अनुभव है।

इस वर्ष प्रधानमंत्री ने भी श्री कोविंद के साथ उनके गांव परौंख की यात्रा की। श्री कोविंद ने कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारत का मूल है। उन्होंने युवा पीढ़ी से अपने गांवों, शहरों, स्कूलों और अध्यापकों से जुड़े रहने की परंपरा जारी रखने का अनुरोध किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपनी समस्त क्षमता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है। श्री कोविंद ने कहा कि जब भी वह किसी संदेह में होते हैं तो, वह गांधी जी की और देखते हैं और उनके मंत्र को याद करते हैं कि सबसे गरीब व्यक्ति का चेहरा याद करो और पूछो कि जो भी हो रहा है, उसे कोई लाभ होगा?

श्री कोविंद ने सभी नागरिकों और निर्वाचित प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह देशभर में नागरिकों के साथ हुई बातचीत से अपने आप को प्रेरणा देते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि किसान छोटे गांवों के मजदूर, अध्यापक, कलाकार, डॉक्टर, नर्स, जज और वकील समेत समाज के सभी वर्गों के लोगों ने उन्हें कर्तव्य निर्वहन करने में मदद दी है। श्री कोविंद ने कहा कि उन्हें सशस्त्र बलों, अर्द्ध सैन्य बलों और पुलिस के जवानों से मिलने से आनंद आया। अपने संबोधन के समापन में उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से बच्चों के लिए पर्यावरण, भूमि, वायु और जल का ध्यान रखने को कहा।

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