नए लेबर कोड का मकसद नौकरी- पेशा लोगों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा को और पुख्ता करना है. इसमें PF, टेक होम सैलरी, काम के घंटे, पेंशन और रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को मिलने वाली रकम को लेकर विशेष ध्यान दिया गया है.

अगर नौकरीपेशा लोगों के लिए हफ्ते में चार दिन काम करना हो, तीन दिन आराम हो … तो क्या कहना. नौकरी छोड़ने पर महज दो दिन में फुल एंड फाइनल पेमेंट हो जाए या CTC का 50 परसेंट बेसिक सैलरी हो तो कैसा रहेगा …. दरअसल, ये कोरी बातें नहीं, बल्कि हकीकत में बदल सकती हैं. सरकार नए लेबर कोड को लागू करने की तैयारी कर चुकी है.

अंतिम मसौदा सरकार के पास, करीब- करीब सब तैयार

सरकार श्रम कानूनों में बदलाव की तैयारी कर चुकी है. एक दो राज्यों को छोड़कर सभी ने केन्द्र को सुझावों सहित अपना मसोदा सौंप दिया है, जिसके आधार पर न्यू लेबर कोड करीब- करीब बनकर तैयार है. बस इसे लागू करने की देरी है. 2019 में संसद में पारित नया लेबर कोड़ 29 केंद्रीय लेबर कानूनों की जगह लेगा. सरकार ने 29 केंद्रीय लेबर कानूनों की जगह 4 नए लेबर कोड बनाए हैं. इनमें वेज, सोशल सिक्योरिटी, इंडस्ट्रियल रिलेशंस और ऑक्यूपेशनल सिक्योरिटी को शामिल किया गया है.

पूरी तरह बदल जाएगा सैलरी स्ट्रक्चर

नए लेबर कोड का मकसद नौकरी- पेशा लोगों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा को और पुख्ता करना है. इसमें PF, टेक होम सैलरी, काम के घंटे, पैशान और रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को मिलने वाली रकम को लेकर विशेष ध्यान दिया गया है नए लेबर कोड के लागू होने से कर्मचारियों की सैलरी स्टुक्बार पूरी तरह बदल जाएगी इसके मुताबिक, किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी कंपनी की CM से 50 परसेंट से कम नहीं हो सकेगी. बेसिक सेलरी बढ़ेगी तो पीएएफ कान्ट्रिब्यूशन भी बढ़ेगा इससे टेक होम सैलरी जरूर घटेगी लेकिन कर्मचारी को रिटायरमेंट पर ज्यादा रकम मिलेगी. असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी न्यू लेबर कोड लागू होगा.

वैकल्पिक होगा 4 दिन काम, 3 दिन अवकाश

नए लेबर कोड के मुताबिक कंपनियों को कर्मचारियों के काम के घंटे 9 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने की मंजूरी होगी. हालांकि, ये सुविधा वैकल्पिक होगी. इसमें कर्मचारी को हफ्ते में केवल 4 दिन ही काम करना होगा. जबकि 3 दिन का साप्ताहिक अवकाश मिलेगा. नया लेबर कोड के मुताबिक, नौकरी से इस्तीफा देने, हटाने या टर्मिनेट करने पर कर्मचारी के काम के अंतिम दिन के दो दिनों के भीतर कंपनी को कर्मचारी का फुल एंड पाइनल पेमेंट करना होगा. आमतौर पर कंपनियां इसके निपटारे के लिए डेढ़ से दो महीने का समय लेती है. इस दायरे में पीएफ और ग्रेच्युटी शामिल नहीं है.

ई – श्रम पोर्टल के इंटिग्रेशन पर भी काम

सरकार नए लेबर कोड को लागू करने की तैयारी में तो है ही, साथ ही उसकी ई- श्रम पोर्टल के इंटिग्रेशन की योजना है, ताकि कामगारों के डाटाबेस को राज्यों के साथ जोड़ा जा सके. दरअसल, सरकार ने पिछले साल अगस्त में ई- श्रम पोर्टल को लॉन्च किया था. ताकि उन्हें सरकार की सोशल सिक्योरिटी से जुड़ी योजनाओं का लाभ मिल सके. इसके अलावा सरकार का नोकरी- पेशे में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने पर जोर है. फिलहाल सरकार नए लेबर कोड को लागू करने को लेकर कमर कस चुकी है और इसका मकसद नौकरी- पेशा लोगों की आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना है.

न्यू लेबर कोड

  • सरकार तैयार , कभी भी हो सकता है लागू
  • 29 केंद्रीय श्रम कानूनों की जगह लेगा
  • 29 पुराने श्रम कानूनों की जगह होंगे 4 लेबर कोड

न्यू लेबर कोड में शामिल

  • वेज, सोशल सिक्योरिटी
  • इंडस्ट्रियल रिलेशन
  • ऑक्यूपेशनल सिक्योरिटी

न्यू लेबर कोड , सैलरी डीकोड

  • सेलरी स्ट्रक्चर में होगा बदलाव
  • CTC का 50 % बेसिक सैलरी
  • बेसिक सैलरी बढ़ने से PF कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ेगा
  • कर्मचारी की ‘ टेक होम सैलरी घट जाएगी
  • रिटायरमेंट पर ज्यादा रकम मिलेगी
  • असंगठित क्षेत्र में भी किया जाएगा लागू

न्यू लेबर कोड की खासियत

  •  हफ्ते में 4 दिन काम , 3 दिन आराम का विकल्प मिलेगा
  • काम के घंटे 9 से बढ़ाकर 12 घंटे करने को मंजूरी
  • नौकरी छूटने या छोड़ने पर कर्मचारी नहीं होगा परेशान
  • ‘लास्ट वर्किंग डे’ के दो दिन बाद फुल एंड फाइनल पेमेंट
  • मौजूदा समय में कंपनियां लेती हैं डेढ़ से दो महीने का समय
  • PF , टेक होम सैलरी , काम के घंटे का होगा निर्धारण
  • पेंशन , रिटायरमेंट पर मिलने वाली रकम पर फोकस

सरकार का फोकस

  •  ई वश्रम पोर्टल के इंटिग्रेशन की योजना
  • श्रमिकों के डाटाबेस को राज्यों के साथ जोड़ने पर जोर
  •  श्रमिकों की आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर जोर
  • श्रमिकों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने पर जोर
  •  श्रमशक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर
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