नई दिल्ली, 12 सितम्बर।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश में डेयरी पशुओं के ताजा आंकड़ों का संकलन करने के लिए सबसे बड़ा डाटाबेस बनाया जा रहा है और डेयरी क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक पशु को इससे जोड़ा जाएगा।

दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर और मार्ट में विश्व डेयरी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का डेयरी क्षेत्र बड़े पैमाने पर उत्पादन की बजाय बड़े जन समूह द्वारा उत्पादन करने के लिए जाना जाता है।

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उन्होंने कहा कि छोटे डेयरी किसानों के सामुहिक प्रयासों से भारत दुनिया में सबसे अधिक डेयरी उत्पाद करने वाला देश बन गया है। श्री मोदी ने कहा कि 2014 में देश में 14 करोड़ 60 लाख टन दूध का उत्पादन किया था जो अब यह बढ़कर 21 करोड़ टन हो गया है, जो करीब 44 प्रतिशत की वृद्धि है।

उन्होंने कहा कि डेयरी क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ दुनिया भर के करोड़ों लोगों की आजीविका का एक प्रमुख स्रोत भी है। उन्होंने कहा कि भारत में डेयरी क्षेत्र की प्रेरक शक्ति छोटे किसान हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि डेयरी क्षेत्र में 75 प्रतिशत योगदान नारी शक्ति का है।

श्री मोदी ने उल्लेख किया कि सरकार एक संतुलित डेयरी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति डेयरी क्षेत्र तक भी पहुंची है और डिजिटल भुगतान प्रणाली दुनिया भर के किसानों की मदद कर सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि डेयरी उत्पादन बढ़ाने के लिए देश में पशु-आधार नामक बायोमैट्रिक प्रमाणीकरण की प्रौद्योगिकी विकसित की जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में लम्पी चर्म रोग मवेशियों के लिए खतरा बना हुआ है और उनका जीवन बचाने के लिए स्वदेश में ही टीका तैयार कर लिया गया है।

श्री मोदी ने कहा कि प्लास्टिक मवेशियों के लिए खतरा बन गया है और सरकार एक ही बार में प्रयोग किए जाने वाले प्लास्टिक के उपयोग को खत्म करने के लिए संकल्पबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2025 तक डेयरी के सभी पशुओं को मुंह-खुर रोग से बचाने के लिए टीका उपलब्ध करा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक ही तरह की खेती करना एकमात्र समाधान नहीं है और इसमें विविधता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह बात पशुपालन पर भी लागू होती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसीलिए भारत में स्वदेशी और संकर नस्ल दोनों पर ही ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गोबर धन योजना डेयरी क्षेत्र के विकास का उदाहरण है।

सम्मेलन 15 सितंबर तक चलेगा, इसमें उद्योगपति, विशेषज्ञ, किसान और नीति नियोजक भाग ले रहे हैं । सम्मेलन का विषय है ‘पोषण और आजीविका के लिए डेयरी’। सम्मेलन में 50 देशों के लगभग 1500 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस तरह का शिखर सम्मेलन भारत में 1974 में आयोजित किया गया था।

भारतीय डेयरी उद्योग सहकारी मॉडल पर आधारित है जो छोटे और सीमांत डेयरी किसानों, विशेष रूप से महिलाओं को सशक्त बनाता है। सरकार ने डेयरी क्षेत्र की बेहतरी के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले आठ वर्षों में दूध उत्पादन में 44 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।

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गुजरात के आणंद में अमूल डेयरी के प्रबंध निदेशक, अमित व्यास ने आकाशवाणी से विशेष बातचीत में कहा कि शिखर सम्मेलन डेयरी क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रथाओं, नई प्रौद्योगिकियों को साझा करने और डेयरी के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाने और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने के बारे में आयोजित हो रहा है।

आकाशवाणी समाचार से बात करते हुए राजस्थान में उदयपुर की एक डेयरी किसान लक्ष्मी चौबीसा ने कहा कि सम्मेलन में साझा किए गए विचार उनकी मदद करेंगे और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएंगे।

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