एसईसीएल (SECL) प्रबंधन द्वारा खदानों से कोयला चोरी को निर्मूल करने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।कुछ दिनों पहले, कंपनी ने बड़ी कारवाई करते हुए मुख्यालय स्तर से एक विशेष टीम का गठन किया है जो मेगा प्रोजेक्ट्स – गेवरा, दीपका, एवं कुसमुंडा का दौरा कर सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर रही है। ज्ञात हो कि खदानों की सुरक्षा के लिए एसईसीएल द्वारा मेगा प्रोजेक्ट्स में त्रिपुरा स्टेट राइफल (टीएसआर), केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ़), एवं एसईसीएल की स्वयं की सुरक्षा टुकड़ियों की तैनाती की गई है।

क्विक रिएक्शन टीम (क्यूआरटी)

खदानों से कोयला चोरी की घटनाओं को रोकने एवं सुरक्षा प्रबंधन के लिए कई नए कदम उठाए जा रहे हैं जैसे क्विक रिएक्शन टीम (क्यूआरटी) की चौबीसों घंटे तैनाती, व्हीकल माउंटिड पेट्रोलिंग, सुरक्षा बलों द्वारा फ्लैग मार्च, विभिन्न डिजिटल समाधानों से खदानों की रीयल-टाइम निगरानी, आदि।

एसईसीएल मुख्यालय से गई सुरक्षा अधिकारियों और विभागीय सुरक्षा कर्मियों की टीम द्वारा सीआईएसएफ और टीएसआर के साथ दिन और रात के दौरान द्वारा गश्त की जा रही है।

तीनों मेगा प्रोजेक्ट्स में सभी चेक पोस्ट एवं बैरियर की सीआईएसएफ़ एवं टीएसआर की टीमों द्वारा निगरानी की जाती है।
सुरक्षा बलों की बात करें तो कुसमुंडा में त्रिपुरा स्टेट राइफल (टीएसआर) के 363 एवं एसईसीएल से 7, गेवरा में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ़) के 314 एवं एसईसीएल से 13, एवं दीपका में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ़) के 292 एवं एसईसीएल से 13 सुरक्षाकर्मी दिन-रात खदान की सुरक्षा में काम कर रहे हैं।

सीसीटीवी कैमरे एवं गाड़ियों में जीपीएस

अन्य सुरक्षा उपायों में कंपनी द्वारा तीनों खदानों में संवेदनशील स्थानों पर 1319 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। कोयला परिवहन के लिए प्रयुक्त 1382 वाहनों में जीपीएस लगाया गया है एवं 139 आरएफ़आईडी युक्त बूम बैरियर लगाए गए हैं।

मुख्यालय स्तर पर कारवाई से, खदानों में कोयला चोरी और अनाधिकृत प्रवेश को रोकने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही खदान के सुचारु संचालन, खनिकों की सुरक्षा, एवं बेहतर कोयला परिवहन भी सुनिश्चित हो पा रहा है।

खनन प्रहरी ऐप

कम्पनी ‘खनन प्रहरी’ नाम से एक मोबाइल ऐप और एक वेब ऐप कोल माइन सर्विलांस एंड मैनेजमेंट सिस्टम (CMSMS) के उपयोग को भी प्रसारित कर रही है। इसे अनधिकृत कोयला खनन गतिविधियों की सूचना देने के लिए शुरू किया गया है ताकि संबंधित कानून और व्यवस्था लागू करने वाले प्राधिकरण द्वारा निगरानी और उचित कार्रवाई की जा सके।

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