आत्मनिर्भर भारत: इलेक्ट्रिक वाहनों के स्वदेशी निर्माण को केंद्र सरकार दे रही बढ़ावा

यह मिशन आर्थिक रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवीएस) के उत्पादन को सुविधाजनक बनाकर भारत के लिए जीवाश्म ईंधन की खपत और उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।

अब देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की असेंबलिंग,सब-असेंबलिंग के पुर्जों के स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। जी हां, दरअसल केंद्र सरकार ने अब ईवी वाहनों के पुर्जों के स्वदेशी निर्माण को तरजीह देते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यानि अब ईवी वाहनों के पुर्जों के लिए दूसरे देशों का मुंह ताकना नहीं होगा बल्कि इस क्षेत्र में अब ‘आत्मनिर्भर भारत’ का निर्माण होगा। आइए जानते हैं कैसे होगा ये संभव…

भविष्य का ट्रांसपोर्टेशन

दरअसल, भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर लंबे वक्त से पॉलिसी निर्माताओं के लिए चिंता का कारण बन रहा है। शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ने का कारण विभिन्न स्रोतों से संबंधित है, हालांकि परिवहन क्षेत्र भी इनमें से एक है। इसलिए आज यह जरूरी है कि परिवहन क्षेत्र से उत्सर्जन कम किए जाएं। इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को एक आशाजनक प्रौद्योगिकी विकल्प के रूप में देखा गया है और कई देशों ने इस प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की नीतियां सफलतापूर्वक लागू की हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने भी इस दिशा में बीते कुछ साल में तेजी से कार्य किए हैं। नरेंद्र मोदी इलेक्ट्रिक वाहनों को ग्रीन मोबिलिटी विकल्प के रूप में बढ़ावा देने के लिए उत्सुक हैं और शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक व्यवहार्य समाधान के रूप में देखते हैं। इसके लिए कई राज्यों ने इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग और विनिर्माण को प्रोत्साहन और सुविधाजनक नीतियों की घोषणा की है।

2.31 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए केंद्र ने की सहायता प्रदान

गौरतलब हो, ‘फेम इंडिया योजना’ के दूसरे चरण के तहत पहली अप्रैल, 2019 से पहली फरवरी 2022 तक लगभग 827 करोड़ रुपए की मांग प्रोत्साहन राशि के जरिए 2.31 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सहायता प्रदान की गई। यह जानकारी भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। केंद्र सरकार इसी प्रकार से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन दे रही है।

देश के संस्थान और व्हीकल निर्माता कंपनी भी इस दिशा में कर रहे काम

केवल इतना ही नहीं इस यात्रा में देश के कई प्रतिष्ठित संस्थान और देशी कंपनियां भी केंद्र सरकार का सहयोग कर रही है। ये मिलकर इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों को सस्ता करने के उपायों पर काम कर रहे हैं। हाल ही में इस दिशा में इलेक्ट्रिक वाहनों के ऑन बोर्ड चार्जर से ईवी की कीमत आधी करने का एक बेहतरीन उपाय भी सामने आया था। आईआईटी बीएचयू के प्रयासों से ऑन बोर्ड चार्जर से एक नई तकनीक विकसित की गई। इसकी मदद से सभी दो पहिया व चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत आधी रह जाएगी। केवल इतना ही नहीं लैब स्तर पर तकनीक का सफल परीक्षण भी किया गया। फिलहाल इसके सुधार और व्यवसाय के स्तर पर काम चल रहा है।

नई तकनीकों को लेकर कंपनियां उत्सुक

आईआईटी गुवाहाटी और आईआईटी भुवनेश्वर के विशेषज्ञ का भी इसमें सहयोग रहा है। देश की प्रमुख इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता कंपनियों ने इस तकनीक में खासी रुचि दिखाई है जो इस बात की ओर इशारा करता है कि देश के संस्थान और व्हीकल निर्माता कंपनी भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। फिलहाल बोर्ड चार्जिंग सुविधा की कमी होने से वाहनों को आउटलेट पर ही चार्ज करना पड़ता है। ऐसी तमाम जरूरतें हैं जो भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों को कम किए जाने के लिए पूरी की जानी है।
राष्ट्रीय रणनीति का विकास

यह मिशन आर्थिक रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवीएस) के उत्पादन को सुविधाजनक बनाकर भारत के लिए जीवाश्म ईंधन की खपत और उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।

साल 2015

साल 2015 विश्वसनीय, किफायती और कुशल इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों (एक्सईवी) के प्रगतिशील उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए, 2011 में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर राष्ट्रीय मिशन के तहत भारत में (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना और उनका उत्पादन शुरू किया गया।

साल 2019

सरकार ने 1 अप्रैल, 2019 से 3 वर्षों की अवधि के लिए शुरू होने वाली 10,000 करोड़ रुपए की लागत वाली फेम की चरण- II स्कीम को मंजूरी दे दी।

PMP को किया अधिसूचित

केंद्र सरकार ने वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों व इनकी असेंबलिंग-सब-असेंबलिंग और सब-असेंबली के पुर्जों के स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP) को अधिसूचित किया है। पीएमपी के तहत समय के साथ स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। इसे बढ़ावा देने के लिए एक श्रेणीबद्ध कर (ड्यूटी) संरचना की भी परिकल्पना की गई है।

PMP फेम चरण-II

केंद्र सरकार ने हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अपनाने और निर्माण के चरण 2 के लिए 10,000 रुपए करोड़ का खर्च घोषित किया है, या फेम 2 स्कीम, इलेक्ट्रिक गतिशीलता को बढ़ाने और कमर्शियल फ्लीट में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने के लिए घोषित किया है। हाल ही में सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ग्रीन लाइसेंस प्लेट को भी अप्रूव किया है ताकि लोगों को उनका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। पीछे का उद्देश्य प्रस्तावित लाभों जैसे रियायती टोल, पार्किंग के लिए प्राथमिक उपचार और कंजेस्टेड जोनों में मुफ्त प्रवेश के लिए उनकी आसान पहचान है।

इलेक्ट्रिक व हाइब्रिड पुर्जों के लिए एक्सईवी पुर्जों के स्वदेशीकरण हेतु एक अन्य पीएमपी फेम चरण-II दिया गया है। चूंकि ऑटोमोबाइल एक उदारीकृत क्षेत्र है और इस क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट से शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है, इसे देखते हुए केंद्र सरकार के लिए उन इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों, जिनकी प्रति चार्ज 80 किलोमीटर से कम की न्यूनतम सीमा है, उनकी कुल हिस्सेदारी से संबंधित डेटा की देखरेख करना अनिवार्य नहीं है।

दोपहिया वाहनों के प्रदर्शन और दक्षता को मिलेगा बढ़ावा

इसके अलावा इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के प्रदर्शन और दक्षता को बढ़ाने को लेकर सरकार ने ”फेम इंडिया योजना चरण-II” के तहत मांग प्रोत्साहन के संबंध में पात्र होने के लिए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए प्रति चार्ज 80 किलोमीटर की न्यूनतम सीमा अधिसूचित की है।

साल 2020 में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में उठाए गए थे बड़े कदम

इससे पहले साल 2020 में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने ‘फेम इंडिया योजना’ के दूसरे चरण के तहत महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात एवं चंडीगढ़ में 670 इलेक्ट्रिक बसों और मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गुजरात एवं पोर्ट ब्लेयर में 241 चार्जिंग स्टेशनों को मंजूरी दी थी।

गौरतलब हो, इस योजना के पहले चरण में ”31 मार्च 2019” तक लगभग 2,80,987 हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को मांग प्रोत्साहन के माध्यम से लगभग 359 करोड़ रुपए की सहायता दी गई थी। याद हो, फेम इंडिया योजना के पहले चरण के तहत भारी उद्योग विभाग ने बेंगलूरु, चंडीगढ़, जयपुर और दिल्ली एनसीआर जैसे शहरों में करीब 43 करोड़ रुपए की लागत से 520 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने को भी मंजूरी दी थी। इसके अलावा डीएचआई ने देश के विभिन्न शहरों में लगभग 280 करोड़ रुपए की लागत वाली 425 इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड बसों को भी मंजूरी दी थी।

तत्पश्चात् फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण को 3 वर्ष की अवधि के लिए लागू किया गया। इसे कुल 10,000 करोड़ रुपए के बजटीय आवंटन के साथ 01 अप्रैल, 2019 से प्रभावी किया गया। इस चरण के तहत सार्वजनिक एवं साझा परिवहन के विद्युतीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया। साथ ही लगभग 7,000 ई-बसों, 5 लाख ई-तिपहिया वाहनों, 55,000 ई -यात्री कारों और 10 लाख ई-दोपहिया वाहनों को सब्सिडी के जरिए समर्थन करने का लक्ष्य रखा गया। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोगकर्ताओं के बीच बुनियादी ढांचे को लेकर चिंता को दूर करने के लिए उसके निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।

अब इस दिशा में केंद्र सरकार द्वारा नया कदम उठाते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों व इनकी असेंबलिंग-सब-असेंबलिंग और सब-असेंबली के पुर्जों के स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने के लिए PMP और इलेक्ट्रिक व हाइब्रिड पुर्जों के लिए एक्सईवी पुर्जों के स्वदेशीकरण हेतु एक अन्य पीएमपी, फेम चरण-II को अधिसूचित कर दिया है। केंद्र सरकार के तमाम प्रयासों से मालूम चलता है कि देश में ईवी को बढ़ावा देने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

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