यूपी चुनावः चौथे चरण में बुधवार को 60 सीटों पर मतदान, BJP के लिए करो या मरो वाला फेज

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में कल 23 फरवरी को 9 जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर वोटिंग है। इस फेज में योगी सरकार के कई मंत्रियों के साथ ही सभी दलों से कई बड़े चेहरे भी मैदान में हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में कल 23 फरवरी को 9 जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर वोटिंग है। इस फेज में योगी सरकार के कई मंत्रियों के साथ ही सभी दलों से कई बड़े चेहरे भी मैदान में हैं।

अगर 2017 के नतीजों की बात करें तो चौथे चरण की 60 में से 51 सीटें बीजेपी ने जीती थी और एक सीट सहयोगी को मिली थी। सपा के खाते में 4 सीट गई थी। लेकिन इस बार बीजेपी के सामने 2017 के नतीजों को दोहराने की चुनौती है।

उत्तर प्रदेश में चौथे चरण में कल नौ जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इन जिलों में पीलीभीत, लखीमपुर-खीरी, सीतापुर, लखनऊ, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा शामिल हैं। इनमें 16 सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं।

चौथे चरण में कुल 624 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। सवाजपुर के लिए सबसे अधिक 15, जबकि पलिया और सेवाता सीट पर सबसे कम छह उम्मीदवार मैदान में हैं। इस चरण में मतदाताओं की कुल संख्या 2 करोड़13 लाख है। इनमें एक करोड 14 लाख पुरुष, 99 लाख 30 लाख महिलाएं और 966 ट्रांसजेंडर हैं। इस चरण के लिए कुल 24 हजार 643 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

राज्य की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अनुप्रिया पटेल के अपना दल (सोनेलाल) और संजय निषाद के नेतृत्व वाली निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है। समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल, शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया), ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाली जनवादी पार्टी (समाजवादी) और अपना दल (कामेरावाड़ी) के साथ गठबंधन किया है। अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने सपा को समर्थन देने की घोषणा की है, लेकिन चुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही हैं।

असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी और भारत मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन किया है। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने भी 30 से अधिक क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया है। इस गठबंधन का नाम सामाजिक परिवर्तन मोर्चा है। जनता दल (यूनाइटेड) राज्य में अकेले चुनाव लड़ रही है।

इस चरण में जिन प्रमुख उम्मीदवारों के किस्मत का फैसला होना है उनमें भाजपा के मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह, आशुतोष टंडन, ब्रजेश पाठक, पूर्व मंत्री राजेंद्र पटेल, अरविंद गिरी, राज्य महासचिव अमरपाल मौर्य के साथ नितिन अग्रवाल, महंत प्रवक्तानन्द, संजय सिंह गंगवार, नीरज बोरा, पूर्व- पुलिस अधिकारी राजेश्वर सिंह, जय देवी और अदिति सिंह शामिल हैं। इनमें भाजपा गठबंधन सहयोगी अपना दल (एस) के मंत्री जय कुमार सिंह जाकी और लक्ष्मीकांत रावत भी हैं।

समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा, मनोज कुमार पांडे, सुधीर रावत, अभिषेक मिश्रा, हेमराज, उषा वर्मा, ब्रजेश प्रजापति, विशंभर यादव, विनय तिवारी, दाऊद अहमद, श्याम सुंदर भारती, सुशीला सरोज और मंजुला सिंह के किस्मत का फैसला भी इसी चरण में होना है।

बहुजन समाज पार्टी के प्रमुख उम्मीदवारों में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गया चरण दिनकर, पूर्व मंत्री अनीस अहमद खान, शेन अली, धीरज प्रकाश, सरवर मलिक, डॉ. जाकिर हुसैन, शकील अहमद, लाजवंती कुरील, अंजलि मौर्य और शिखा कनौजिया शामिल हैं।

पूर्व मंत्री सुरेंद्र विक्रम सिंह, अहमद नूरी, हरप्रीत सिंह, रिसाल अहमद, प्रल्हाद पटेल, सुशील कुमार पासी, शंकरलाल गौतम, लक्ष्मी नारायण, रुद्र दमन सिंह, अजय श्रीवास्तव, मनोज तिवारी, सदफ जाफर, आशा सिंह, रितु सिंह और आकांक्षा वर्मा कांग्रेस के प्रमुख उम्मीदवार हैं।

इस चरण के प्रमुख चेहरों की तो चौथे चरण में योगी सरकार के आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों सहित कई बड़े बीजेपी नेताओं की साख दांव पर है। वहीं सपा, बसपा और कांग्रेस के भी हाईप्रोफाइल नेताओं की प्रतिष्ठा इस चरण में दांव पर है। लखनऊ पूर्वी सीट से बीजेपी से एक बार फिर आशुतोष टंडन मैदान में हैं तो सपा से अनुराग भदौरिया और कांग्रेस से छात्र नेता रहे मनोज तिवारी ताल ठोक रहे हैं।

इसी तरह लखनऊ कैंट सीट पर योगी सरकार के कद्दावर मंत्री बृजेश पाठक चुनाव लड़ रहे हैं। यहां सपा ने राजू गांधी को तो कांग्रेस ने सिख समुदाय के दिलप्रीत सिंह विर्क को मैदान में उतारा है। जबकि बीएसपी से ब्राह्मण व्यवसायी अनिल पांडेय हैं। इसी चरण में लखनऊ की सरोजनी नगर पर सभी की निगाहें हैं। बीजेपी ने यहां से मौजूदा विधायक स्वाति सिंह का टिकट काटकर ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर रहे राजेश्वर सिंह को उतारा है, जिनके सामने सपा ने पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा को तो कांग्रेस ने रुद्र दमन सिंह उर्फ बबलू सिंह को और बीएसपी ने जलीस खान को उतारा है।

इसी तरह फतेहपुर जिले की हुसैनगंज सीट से योगी सरकार के राज्य मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी सिंह मैदान में हैं। यहां से सपा ने पूर्व मंत्री मुन्ना लाल मौर्य की पत्नी उषा मौर्या को तो कांग्रेस ने शिवाकांत तिवारी को मैदान में उतारा है। फतेहपुर की ही बिंदकी सीट पर अपना दल (एस) से योगी सरकार में मंत्री जय कुमार सिंह जैकी लड़ रहे हैं। इससे पहले वह फतेहपुर की जहानाबाद सीट से चुनाव जीते थे और उन्हें योगी सरकार में मंत्री बनाया गया था। लेकिन इस बार सीट बदल दी गई।

इसी चरण में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली की पांचों सीट पर मतदान है। इसमें सबकी निगाहें रायबरेली सदर से कांग्रेस की बागी अदिति सिंह पर टिकी हैं जो बीजेपी से चुनाव लड़ रही हैं। अदिति के सामने कांग्रेस के मनीष सिंह चौहान हैं तो सपा ने आरपी यादव को टिकट दिया है। इसके अलावा यहां की ऊंचाहार सीट पर भी सबकी निगाहें होंगी, जहां से सपा के मनोज पांडेय हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं। बीजेपी ने यहां अमरपाल मौर्य को उतारा है। कांग्रेस ने बीजेपी के बागी अतुल सिंह को उतारा है। इसके अलावा इस चरण में हरदोई सदर से बीजेपी ने नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल को उतारा है।

कुल मिलाकर एक बात तय है कि पिछली बार 60 सीटों में गठबंधन समेत 52 सीट जीतने वाली बीजेपी के लिए इस बार पुराना प्रदर्शन दोहराना मुश्किल है। क्योंकि चौथे चरण में ही किसानों की हत्या से गर्माए लखीमपुर खीरी, पीलीभीत समेत दलित लड़की से रेप और हत्या के बाद चर्चा में आए उन्नाव में चुनाव होना है। चौथे चरण में आवारा पशुओं के कारण हो रही परेशानी का मुद्दा भी गरम है। ऐसे में नुकसान बड़ा हुआ तो बीजेपी आगे इसकी भरपाई शायद ही कर पाए। इसलिए चौथा चरण बीजेपी के लिए ‘करो या मरो’ वाला है।

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