बैठक में उपस्थित कमेटी के पदाधिकारी एवं सदस्य
बैठक में उपस्थित कमेटी के पदाधिकारी एवं सदस्य

धनबाद, 04 अगस्त। गुरुवार को कोयला कामगारों के वेतन समझौते से संबंधित वित्तीय पहलुओं पर चर्चा करने कोल इंडिया लिमिटेड प्रबंधन द्वारा गठित की गई कमेटी की बैठक बीसीसीएल मुख्यालय में हुई। बैठक करीब ढाई घंटे चली।

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कमेटी के चेयरमैन एवं बीसीसीएल के सीएमडी एवं निदेशक (वित्त) समीरन दत्ता तथा समन्वयक एवं सीआईएल के महाप्रबंधक (श्रमशक्ति एवं औद्योगिक संबंध) अजय कुमार चौधरी ने यूनियन सदस्यों के समक्ष पीपीटी के जरिए एक प्रस्तुति दी।

इसमें वही वित्तीय आंकड़े प्रस्तुत किए गए, जो जेबीसीसीआई बैठकों में बताए गए थे। कितने प्रतिशत एमजीबी देने पर कंपनी पर कितना आर्थिक बोझ आएगा, इसको पीपीटी के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया। यूनियन के सदस्य डीडी रमानंदन (CITU), सिद्धार्थ गौतम (HMS), लखनलाल महतो (AUTIC) ने प्रस्तुत किए गए आंकड़ों पर असहमति जताई।

बैठक में प्रबंधन ने बताया कि पांच प्रतिशत वेज बढ़ोतरी पर ईसीएल पर 529 करोड़, बीसीसीएल पर 400 करोड़ सीसीएल 312 करोड़ एनसीएल 125 करोड़ डब्ल्यूसीएल 350 करोड़, एसईसीएल 460 करोड़, एमसीएल 174 करोड़ , सीएमपीडीआइ 18 करोड़ तथा कोल इंडिया मुख्यालय पर 15 करोड़ खर्च होगा। इस तरह से कुल 2369 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसी तरह 7% वेज बढ़ोतरी पर 2988 करोड़, 10% की बढ़ोतरी पर 3916 करोड़, 15% की वेज बढ़ोतरी पर 5464 करोड़ 20% की बढ़ोतरी पर 7011 करोड़, 25 फीसदी वेज बढ़ोतरी पर 8558 करोड़ रुपए का भार आएगा।

इस संदर्भ में सिद्धार्थ गौतम ने industrialpunch.com से चर्चा करते हुए बताया कि प्रबंधन द्वारा एमजीबी प्रदान करने को लेकर प्रस्तुत किए जा रहे आंकड़े और यूनियन के आंकड़ों में एक बड़ा अंतर है। मसलन 5 फीसदी एमजीबी देने पर प्रबंधन कहता है 2400 करोड़ रुपए का भार आए। इसी 5 फीसदी एमजीबी पर यूनियन के आंकलन के हिसाब से करीब 1700 करोड़ रुपए का भार आ रहा है। यूनियन यही समझना चाहता है आखिर प्रबंधन किस तरह का कैलकुलेशन कर रहा है, जिससे आंकड़ों में एक बड़ा अंतर पैदा हो रहा है।

श्री गौतम ने कहा कि कमेटी के तीनों सदस्य अपने यूनियन के जेबीसीसीआई पदाधिकारियों से आज की बैठक को लेकर चर्चा करेंगे। फिर आगे की रणनीति तय की जाएगी। कमेटी की बैठक और होगी, इस पर उन्होंने कहा कि अभी यह तय नहीं है।

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यहां बताना होगा कि वेतन समझौते को लेकर वित्तीय पहुलओं पर चर्चा करने बनी कमेटी में शामिल बीएमएस के सदस्य सुरेन्द्र कुमार पांडेय अनुपस्थित रहे। दरअसल बीएमएस ने कमेटी के गठन के औचित्य पर सवाल उठाए थे। अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के महामंत्री सुधीर घुरडे ने बैठक के बहिष्कार का ऐलान किया था। बीएमएस का कहना था कि जेबीसीसीआई की 5वीं बैठक में इस तरह की कमेटी गठन को लेकर को चर्चा नहीं हुई थी। सीआईएल ने एकतरफा निर्णय लेकर कमेटी बना दी।

प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़े :

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