नई दिल्ली, 05 अप्रेल। बुधवार को दिल्ली के रामलीला मैदान पर लेफ्ट पार्टियों के बैनर तले किसानों और मजदूरों ने केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ हुंकार भरी। ’मजदूर किसान संघर्ष रैली’ का आयोजन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन, ऑल इंडिया किसान सभा और ऑल इंडिया एग्रीकल्चर वर्कर्स यूनियन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। इसमें देषभर से मजदूर और किसान सहित अन्य लोग जुटे।

संगठनों ने स्कीम वर्कर्स को नियमित करने, पेंशन, ग्रेच्युटी, एक्सग्रेश्यि, सामाजिक सुरक्षा का लाभ देने तथा न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए लागू किए जाने की मांग रखी। इसके अलावा प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ, ठेकेदारी प्रथा खत्म करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी जामा पहनाने, किसानों के लिए केंद्र से कर्ज माफी के साथ 60 साल से अधिक उम्र के किसानों के लिए पेंशन जैसी मांगों को लेकर भी आवज उठाई गई। इस दौरान अग्निपथ योजना और अमीरों पर अलग से टैक्स की सीमा बढ़ाने की भी मांग की गई।

लेफ्ट के नेताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ राष्ट्र की संपत्ति को नष्ट करने और मेहनतकश जनता के जीवन को गंभीर आर्थिक संकट से ध्यान हटाने के लिए नफरत फैलाने का आरोप लगाया।

सीपीआई एम के महासचिव सीताराम येचुरी भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने भी केंद्र सरकार पर किसानों और मजदूरों की अनदेखी का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ये सरकार किसान मजदूर विरोधी है। ये सरकार बस बड़े-बड़े वादे करती है, नीतियों की बात करती हैं, लेकिन किसानों को सुविधाएं देने की बात सिर्फ कागज़ पर होती है, असल में जमीन पर नहीं होती। मनरेगा में काम करने के दिन घटा दिए। बजट में मनरेगा के लिए पैसे कम कर दिए। आज देश में जो माहौल चल रहा है इसके लिए भी केंद्र सरकार जिम्मेदार है।

ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले ने कहा कि आज महंगाई इतनी बढ़ गई है, लेकिन गरीबों के लिए वैलनेस टैक्स कम कर दिया गया है, अमीरों के लिए कम से कम 25 से 30 फीसदी टैक्स बढ़ाना चाहिए। जो जितना ज्यादा कमा रहे हैं उनको इतना टैक्स भरना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले हम देश के हर गली मोहल्ले तक जाएंगे और सरकार के खिलाफ माहौल बनाएंगे और इस सरकार को हटाना ही होगा। जब तक यह सरकार रहेगी तब तक इन्हें हक नहीं मिलेगा। हम राजनीति के लिए नहीं कर रहे हैं हमारे स्टेज पर कोई भी राजनीतिक पार्टी का नेता नहीं आया है।

कारपोरेट के हाथ सारा देश बिक रहा है

इस दौरान ऑल इंडिया किसान सभा के उपाध्यक्ष हनान मोल्ला ने कहा, “हमारी 13 सूत्री मांग है खेत मजदूर और किसान उत्पादन करता है फिर भी बेहद गरीब है। सरकार का फसल का न्यूनतम दाम के लिए 14 महीने का समय हो गया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. राशन व्यवस्था खत्म करने की साजिश चल रही है।

उन्होंने आगे कहा कि कारपोरेट के हाथ सारा देश बिक रहा है। रामनवमी के नाम पर देश में दंगा फैल रहा है देश को बांटने की साजिश हो रही है, क्योंकि हिंदू-मुसलमान आपस में लड़ेगा तो असली मुद्दों से दूर हो जाएगा। सरकारी खजाना प्राइवेट हो रहा है. आर्मी भी प्राइवेट कर दी है। अग्निपथ योजना से बड़ी गद्दारी देश के लिए क्या होगी। हमारे देश में पहले से ही स्टेबलिश सेना है, लेकिन अब उनको 5 साल के बाद रिटायर कर देंगे तो यह देश के साथ खिलवाड़ है।

मजदूर और किसान विरोधी नीति लागू

सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन अध्यक्ष हेमलता ने कहा कि सरकार की नीतियों का फायदा मजदूर और किसानों को नहीं हो रहा है। यह सरकार प्राइवेटाइजेशन कर रही है। सरकार मजदूर और किसान विरोधी नीति लागू कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि वो जंगल को बेच रहे हैं खदान को बेच रहे हैं, समुद्र के पानी को बेच रहे हैं।

हजारों की संख्या में महिलाएं भी पेंशन, मनरेगा में रोजगार करने के दिन बढ़ाने साथ ही दिहाड़ी मजदूरी में वृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य और नौकरी की व्यवस्था को लेकर हो रहे आंदोलन का हिस्सा बनीं।

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