इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुद का नाम बदलने की गुहार लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट का नाम बदलकर या तो प्रयागराज उच्च न्यायालय करने या उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय करने की बात कही गई थी। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में दायर की गई इस याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही इसे ‘पब्लिसिटी स्टंट लिटिगेशन’ करार दिया।

अधिवक्ता अशोक पांडे द्वारा दायर की गई याचिका को न्यायमूर्ति पी.के.जायसवाल और न्यायमूर्ति डी.के. सिंह ने खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का नाम बदलने की याचिका इस आधार पर लगाई थी कि राज्य सरकार ने 16 अक्टूबर, 2018 को इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया था, ऐसे में हाईकोर्ट का नाम भी बदलना चाहिए।

अपने हालिया आदेश में पीठ ने कहा कि एक जिले का नामकरण संवैधानिक योजना के तहत विधानमंडल की शक्तियों के तहत आता है और इसलिए वह इस मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हालांकि उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को यह कहते हुए ‘अनावश्यक’ याचिका दायर करने की कीमत चुकाने से रोक दिया कि वह इसी अदालत के वकील हैं।

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