एडीबी ने सितंबर में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 के लिये 6.5 प्रतिशत और 2020-21 में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। उसने कहा कि अनुकूल नीतियों के कारण आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में मजबूत होकर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है।

एडीबी एशियाई विकास परिदृश्य 2019 के एक अनुपूरक में कहा, ”एक प्रमुख गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के 2018 में डूब जाने से वित्तीय क्षेत्र में जोखिम के उभार तथा ऋण उपलब्धता की तंगी के कारण दक्षिण एशिया में भारत की वृद्धि दर वित्तवर्ष 2019-20 में कम होकर 5.1 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है।”

उसने कहा, ”इसके साथ ही खराब फसल से ग्रामीण क्षेत्र की बदहाल स्थिति तथा रोजगार की धीमी वृद्धि दर ने उपभोग को प्रभावित किया है। अनुकूल नीतियों के कारण वृद्धि दर के 2020-21 में बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है।” एडीबी ने सितंबर में भी वृद्धि दर का अनुमान 2019-20 के लिये सात प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था तथा 2020-21 के लिये 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था।

एडीबी ने दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 2019-20 के लिये 6.2 प्रतिशत से घटाकर 5.1 प्रतिशत तथा 2020-21 के लिये 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है। उसने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध तथा वैश्विक आर्थिक नरमी के कारण चीन की आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 2019-20 में 6.1 प्रतिशत तथा 2020-21 में 5.8 प्रतिशत पर आ सकती है। एडीबी ने पहले इनके क्रमश: 6.2 प्रतिशत और छह प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था।

उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने भी नरम मांग तथा सुस्त बाह्य मांग का हवाला देते हुए देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटाकर पिछले सप्ताह पांच प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत किया है। विश्वबैंक ने भी यह अनुमान घटाकर छह प्रतिशत कर दिया है।

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