गुलाबों सिताबो चर्चा में है, अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की ये मूवी अब लॉकडाउन के चलते वेब सीरीज प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम पर रिलीज होने जा रही है। इसीलिए चर्चा में हैं क्योंकि लोग आयुष्मान और अमिताभ की मूवी को सिनेमाघरों में देखना चाहते थे, लेकिन अब छोटे परदे पर घर बैठकर देखेंगे। अब इसे 12 जून को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज करने का ऐलान किया गया है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्या है ये गुलाबो सिताबो, और क्यों अमिताभ बच्चन ने इतने बूढ़े का अजीब सा गैटअप इस मूवी के लिए रखा है और क्या बुरा कनेक्शन है रिलीज की तारीख का इंदिरा गांधी से जुड़ी यादों से।

पहले ये जानिए कि फिल्म के टाइटिल गुलाबो सिताबो का क्या मतलब है? दरअसल ये टॉम एंड जैरी जैसे किरदार हैं। यानी जो हर वक्त एक दूसरे से लड़ते रहते हैं, और एक दूसरे के बिना उनकी जिंदगी भी नहीं हैं। शायद एक ना रहे तो दूसरे की जिंदगी से रोमांच ही खत्म हो जाए। सैकड़ों सालों पहले ये किरदार कठपुतलियों में ढाले गए थे और इन कठपुतली किरदारों यानी गुलाबो और सिताबो के जरिए सास बहू, जेठानी दौरानी, ननद भाभी जैसे चिर दुश्मन रिश्तों की कहानियां सुनाई जाती हैं, एक तरफ रहती है गुलाबो और दूसरे रिश्ते में रहती है सिताबो।
लखनऊ के बैकग्राउंड में रची गई ये कहानी विकी डोनर की राइटर जूही चतुर्वेदी ने ही लिखी है, अमिताभ बच्चन के फेवरेट डायरेक्टर सुजीत सरकार ने डायरेक्ट की है और 17 अप्रैल के ये रिलीज होने वाली थी, लेकिन लॉकडाउन में फंस गई और डायरेक्टर प्रोडयूसर्स ने तय किया कि इसको वेब प्लेटफॉर्म्स पर ही रिलीज कर दिया जाए। वैसे भी ये कहानी घर घर की है।

लेकिन डायरेक्टर, प्रोडयूसर्स और बेव प्लेटफॉर्म ने रिलीज की जो तारीख चुनी है, वो बेहद विवादति है। ये तारीख 12 जून इंदिरा गांधी की सबसे बुरी याद से जुड़ी है और इस मूवी में कभी उनके करीबी रहे और बाद में गांधी नेहरू खानदान के एकदम खिलाफ चले गए अमिताभ बच्चन हीरो हैं। मजे की बात ये भी है कि गांधी नेहरू खानदान में भी इंदिरा-मेनका, सोनिया-मेनका जैसे गुलाबो सिताबो किरदार रहे ही हैं।

लेकिन जो ये नहीं जानते कि 12 जून का इंदिरा गांधी की यादों से बुरा कनेक्शन क्या है, वो संक्षिप्त में ये कहानी जान लें। दरअसल जब इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव जीती थीं, तो उनके खिलाफ राजनारायण ने चुनाव में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए केस दायर कर दिया। यूं तो 23 मई को ही सारी सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में पूरी हो गई थीं, लेकिन फैसले की तारीख 12 जून को रखी गई थी और जज जगमोहन लाल सिन्हा बेहद सख्त मिजाज आदमी थे। ठीक 10 बजे खचाखच भरी कोर्ट में उन्होंने फैसला पढ़ना शुरू किया। उन्होंने फैसले में कहा- “In view of my findings on Issue No. 3 and Issue No. 1 read with additional issue No. 1, additional issue No. 2 and additional issue No. 3, the petition is allowed and the election of Smt. Indira Nehru Gandhi, respondent No. 1, to the Loksabha is declared void.”।

उससे आगे का फैसला तो शोर में दब गया, ना कोई सुनना चाहता था और ना ही शोर में सुनाई पड़ा। नारे लगने लगे राजनारायण जिंदाबाद, शांतिभूषण जिंदाबाद। प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण राजनारायण के वकील थे। जबकि इंदिरा गांधी के वकील एससी खरे के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं। इस फैसले में इंदिरा गांधी का ना केवल इलेक्शन रद्द किया गया था, बल्कि उन्हें अगले 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से भी रोक दिया गया था। यानी अगले 6 साल वो पीएम नहीं बन सकती थी। हालांकि जज सिन्हा ने राजनारायण के लगाए 7 आरोपों में से पांच को खारिज कर दिया था और केवल दो में ही इंदिरा को दोषी पाया था।

इंदिरा की उलटी गिनती शुरू हो चुकी थी, देश में एक नए तरह का माहौल बनने लगा, जो इंदिरा गांधी बांगला देश के गठन के बाद लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच चुकी थीं, हर गली में उनकी बेईमानी की चर्चा होने लगी थी। अगले 13 दिन के अंदर तो इंदिरा ने इमरजेंसी का ऐलान भी कर दिया। बाद में इसी इमरजेंसी के चलते अमिताभ बच्चन पर गाधी परिवार से करीबी का आरोप लगाकर फिल्मी पत्रिकाओं ने अमिताभ पर 15 साल तक बैन लगा दिया था। सो ये फिल्म ‘गुलाबो सिताबो’ गांधी परिवार की बुरी यादों से जुड़ी एक खास तारीख को रिलीज होने जा रही है।

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