पटना (IP News). बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे स्पष्ट हो चुके हैं। बहुमत से तीन सीट अधिक 125 के आंकड़े के साथ एनडीए फिर से सरकार बनाने जा रही है। इस दफे 74 सीटें लेकर भाजपा बड़े भाई की भूमिका में है। जेडीयू को 43 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। एनडीए ने चुनाव के पूर्व ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर रखा था। परिणाम आने के बाद भी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नीतीश कुमार ही बैठेंगे। यह चर्चा चल रही है कि यदि नीतीश कुमार ने सीएम की कुर्सी संभाल ली तो इस बार उनके लिए रास्ता आसान नहीं होगा। भाजपा हर मौकों और निर्णयों पर भारी पड़ेगी।

छह माह सालभर बाद भाजपा नीतीश कुमार को साइड लगा सकती है। या फिर ऐसी स्थिति पैदा कर दी जाएगी की वे स्वंय ही पद छोड़ दें। इधर, भाजपा के भीतरी हिस्से से यह बात भी निकलकर आ रही हैै कि नैतिकता के नाते नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद नहीं लेना चाहिए और इसे भाजपा को सौंपा देना चाहिए।

खुले तौर पर भाजपा के नेता यह जाहिर नहीं करें, लेकिन यह तो साफ था कि पार्टी जेडीयू और नीतीश कुमार को डैमेज करने में जुटी थी। इसके लिए चिराग पासवान को चुना गया। रिजल्ट आने के बाद पासवान ने अपने बयान में कहा भाजपा के प्रति मतदाताओं में उत्साह था। लोक जनशक्ति पार्टी ने भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ एक भी प्रत्याशी नहीं उतारा था। जेडीयू के विरूद्ध उम्मीदवार खड़े किए गए। चिराग पासवान ने पूरे चुनाव में नीतीश कुमार की मुखालफत की। भाजपा जानती थी जेडीयू को कमजोर कर ही वो बिहार जैसे बड़े राज्य पर अपनी हुकूमत चला सकती है। इस चुनाव में नीतीश कुमार बीजेपी के प्रति सरेंडर भी दिखे।

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