16 अप्रैल 200, दिल्ली का रामलीला मैदान। केसरिया झंडे से पटे हुए मैदान पर जन सैलाब। एक 81 वर्षीय बुजुर्ग, साधारण कपड़े पहने हुए मंच पर पधारते हैं। उनके मंच पर आते ही भारत माता की जय, बीएमएस अमर रहे के नारों से रामलीला मैदान गूंज उठा। ये गूंज केंद्र सरकार के कानों से टकरा रही थी। बजुर्ग ने संबोधन शुरू किया। इस क्रम में उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा पर करारा प्रहार करते हुए कहा ये देश का अर्थ मंत्री नहीं, अनर्थ मंत्री है। इसे पद त्याग करना होगा।यह अपराधी है। सभा को कवर करने के लिए मौजूद देशी – विदेशी मीडिया के दिग्गज भौचक। ये बोल तत्कालीन एनडीए सरकार के मुखिया वाजपेयी के पास पहुंचे कुछ देर के बाद ये खबर जंगल मे आग की तरह फैली। लोग सरकार के कार्यकाल पर सवाल उठाने लगे।

राजनीतिक विश्लेषक कहने लगे वाजपेयी सरकार का कार्यकाल पूरा हुआ अब। वाजपेयी सरकार के वित्त मंत्री पर हमला करने वाले शख्स थे बीएमएस के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी। बीएमएस द्वारा उस दिन WTO छोड़ो – तोड़ो – मोड़ो रैली का आयोजन किया गया था। जानकारों के मुताबिक ठेंगड़ी जी के हमले से वाजपेयी जी परेशान। क्योंकि ठेंगड़ी जी संघ के कद्दावर शख्सियत थे। वाजपेयी तब भागे भागे नागपुर पहुंचे। तत्कालीन संघ प्रमुख से मिले। पूरी बात बताई। तब संघ प्रमुख ने कहा था आपकी सरकार अपना कार्य कर रही है, बीएमएस मजदूरों का संगठन है, वो मजदूरों के हित का कार्य कर रहा है।

वित्त मंत्री तत्काल तो नहीं हटाए गए पर कुछ महीनों के अंदर उन्हें वित्त मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, वे विदेश मंत्री बनाए गए। श्री सिन्हा ने इस घटना का जिक्र अपने आत्म कथा में किया है। वाजपेयी सरकार के निजीकरण की नीतियों से ठेंगड़ी जी खासे परेशान थे तब।

इधर, 16 मई 2020 को केंद्र सरकार ने कमर्शियल माइनिंग की घोषणा की। बीएमएस समेत सभी यूनियनों ने विरोध किया। बीएमएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं कोयला प्रभारी हैं डॉ बीके राय।उन्होंने कहा सरकार से लड़ना होगी। अपने लिए नहीं, आने वाली पीढ़ी के लिए। नहीं लड़े तो आने वाली पीढ़ी बंधुआ मजदूर बन कर रह जाएगी।

कोयला उद्योग की अन्य यूनियन के साथ बातचीत शुरू हुई। उनका कहना था कि कोई साथ आए या नहीं बीएमएस लड़ेगा, लेकिन कोयला उद्योग की सभी यूनियन एकजुट हो गई। 14 जून को सभी ने डॉ साहब को अधिकृत कर दिया। उसी दिन उन्होंने पीएम को पत्र लिख कहा कि कमर्शियल माइनिंग का निर्णय वापस लें अन्यथा कोयला मजदूर सीधी कार्रवाई करेगा। इसके तहत 2 से 4 जुलाई तक कोल सेक्टर में हड़ताल होगी। 18 जून को हड़ताल का नोटिस दिया गया।

इस बीच तरह तरह की बातें, लेकिन डॉ साहब डटे रहे 

बीएमएस हड़ताल नहीं करेगा, अंतिम समय मे भाग जाएगा आदि- आदि। संयुक्त सचिव कोल का 26 जून को वार्ता का आमंत्रण ठुकरा दिया जाता है। 30 जून को डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर का वार्ता का आमंत्रण ठुकरा दिया गया। इस बारे में डॉ साहब का कहना था ये सब खानापूर्ति है। 30 जून को कोल सचिव से वर्चुअल वार्ता। अन्य संगठनों के नेताओं ने इन्हें फिर अधिकृत किया। डॉ साहब ने साफ कहा ये सरकार का नीतिगत मामला है, आप इसे लागू करेंगे। आप हमारी बात सरकार तक पहुंचा दीजिए कि कोयला में तीन दिन की हड़ताल होगी। इसके बाद सरकार बेचैन।

फिर एक जुलाई को कोयला मंत्री से वर्चुअल वार्ता। मंत्री के बोलने के बाद डॉ साहब ने मंत्री को दो टूक लहजे में कहा आप कमर्शियल माइनिंग का निर्णय वापस नहीं लेंगे और हम हड़ताल वापस नहीं लेंगे। हड़ताल होगी। मंत्री जी आग्रह, विनती, बाबा, बाबा करते रह गए और आज से तीन दिवसीय हड़ताल सफलता के साथ शुरू हो गयी। तो क्या लगता नहीं डॉ साहब ठेंगड़ी की राह पकड़ चुके हैं। सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या संघ डॉ साहब को ठेंगड़ी जी की तरह ढील देगा ?

– श्री सत्येन्द्र कुमार की वॉल से

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