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नई दिल्ली। सोमवार को केंद्र सरकार ने कहा है कि रक्षा उत्पादन विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले सुरक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और आयुद्ध निर्माणी बोर्ड के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है।

यह जानकारी रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

श्री भट्ट ने यह भी कहा कि कार्यात्मक स्वायत्तता दक्षता बढ़ाने और आयुद्ध कारखानों में नई विकास क्षमता तथा नवाचार को उजागर करने के लिए पिछले महीने सुरक्षा पर मंत्रिमंडल समिति की बैठक में आयुद्ध निर्माणी बोर्ड की उत्पादन इकाइयों को सात सुरक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में बदलने की मंजूरी दी।

यहां बताना होगा कि जून को हुई कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने सभी 41 कारखानों को 7 निगमों में बांटने का फैसला लिया था। सरकार का दावा है कि इस फैसले से इन कारखानों को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी ताकि विश्व स्तर का आधुनिक हथियार तैयार हो सके। जबकि रक्षा क्षेत्र में काम कर रहे मजदूर संगठनों का दावा है कि मोदी सरकार इस कदम के बहाने इन कारखानों का निजीकरण कर रही है।

इसे लेकर रक्षा उत्पादन से जुड़े मजदूर और कर्मचारी संघों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। यूनियन ने हड़ताल का ऐलान भी किया था। सरकार ने हड़ताल को रोकने के लिए अध्यादेश के जरिए एक कानून ही बना दिया।

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