कमर्शियल माइनिंग : झारखण्ड के लालगढ़ व एमपी के बेहराबंद कोल ब्लॉक के लिए हुई नीलामी

झारखण्ड स्थित लालगढ़ (उत्तर) कोल ब्लॉक आधुनिक पाउडर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड ने हासिल किया है। मध्यप्रदेश में स्थित बेहेराबन्द उत्तर विस्तार कोयला खदान औरो कोल प्राइवेट लिमिटेड ने प्राप्त किया है।

नई दिल्ली, 25 दिसम्बर। कोयला मंत्रालय ने इसी वर्ष 27 सितंबर, 2021 को वाणिज्यिक खनन के लिए 11 कोयला खदानों की नीलामी का दूसरा प्रयास शुरू किया था और तब 4 खदानों के लिए निविदाएं (बोलियां) प्राप्त हुई थीं। दो खानों लालगढ़ (उत्तर) एवं बेहेराबन्द उत्तर विस्तार के लिए नीलामी आयोजित की गई थी, जिनके लिए कई बोलियां मिली।

झारखण्ड स्थित लालगढ़ (उत्तर) कोल ब्लॉक आधुनिक पाउडर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड ने हासिल किया है। मध्यप्रदेश में स्थित बेहेराबन्द उत्तर विस्तार कोयला खदान औरो कोल प्राइवेट लिमिटेड ने प्राप्त किया है। लालगढ़ (उत्तर) में 27.038 मिलियन टन कोल डिपाजिट है, जबकि बेहेराबन्द उत्तर विस्तार में 170 मिलियन टन का कोयला भंडार है।

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कोयला मंत्रालय ने बताया कि यह आंशिक रूप से अन्वेषित (खोजी गई) कोयला खदान है अतः इस खदान के लिए पीआरसी उपलब्ध नहीं है। इसलिए, इस कोयला खदान से सृजित होने वाले वार्षिक राजस्व की गणना फिलहाल नहीं की जा सकती है।

इस नीलामी के संचालन के साथ ही कोयला मंत्रालय ने जून 2020 में पहली किश्त के शुभारंभ से अब तक कुल 30 खानों (23 पूरी तरह से अन्वेषित (खोजी गई) खदानों और 7 आंशिक रूप से खोजी गई खदानों को मिलाकर) की सफलतापूर्वक नीलामी की है।

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बाजार में कोयला खदानों की मजबूत मांग का संकेत देते हुए 4 प्रतिशत की आधारभूत लागत (फ्लोर प्राइस) के मुकाबले लगभग 27.78 फीसदी के औसत प्रीमियम के साथ अब तक नीलामी की गई कुल अधिकतम दर्ज क्षमता 63.17 एमटीपीए है। इन खदानों से कुल वार्षिक राजस्व 8158.03 करोड़ रुपये और अनुमानित रोजगार 85,406 होने की उम्मीद है।

कोयला मंत्रालय ने दावा किया है कि वाणिज्यिक कोयले की खदान की नीलामी में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखी गई है और ’अनंतिम-उपभोक्ता (नॉन-एंड यूजर)’ श्रेणी के कई प्रतिभागी पहली बार शामिल हुए जैसे भवन निर्माण क्षेत्र (रियल एस्टेट), बुनियादी संरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर), औषधि निर्माता (फार्मा) आदि भी इस नीलामी में सफल बोलीदाताओं के रूप में उभरे हैं, जो इसका एक सकारात्मक पक्ष साझा करता है। उद्योग द्वारा बोली प्रक्रिया से ’अंतिम उपयोग’ मानदंड को हटाने के बाद अब खनन उद्योग में अधिक दक्षता और तकनीकी प्रगति आने की उम्मीद है।

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