नई दिल्ली। सात घंटे चली कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक के बाद फैसला लिया गया कि सोनिया गांधी अभी कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रही रहेंगी। अगले छह महीने के अंदर पार्टी का नया प्रमुख चुना जाएगा। वहीं, इसके पहले कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में सोनिया गांधी ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। साथ ही उन्होंने नए पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था। सोनिया ने गुलाम नबी आजाद समेत अन्य नेताओं द्वारा नेतृत्व परिवर्तन को लेकर लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए इस्तीफे की पेशकश की थी। उन्होंने पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल को इस पत्र का जवाब भेज दिया था।

वहीं, समाचार एजेंसी एएनआइ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि CWC बैठक में अंबिका सोनी ने कहा कि पार्टी के नेतृत्व में सोनिया गांधी को पत्र लिखने वालों के खिलाफ पार्टी संविधान की कार्रवाई की जा सकती है। इस पर गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने कहा कि वे चिंताओं को बढ़ाने की सीमा के भीतर थे, फिर भी अगर किसी को लगता है कि यह अनुशासन भंग है तो कार्रवाई की जा सकती है।

समाचार एजेंसी एएनआइ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पार्टी नेतृत्व को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं ने सीडब्ल्यूसी में कहा कि संगठन की बेहतरी के लिए कुछ चिंताएं थीं, उन लोगों को बताने के लिए पत्र लिखा गया। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरा विश्वास रखें।
इस पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी ने यह बात कभी नहीं कही कि यह पत्र (कांग्रेस नेताओं का सोनिया गांधी को पत्र) भाजपा के साथ मिलकर लिखा गया। न तो CWC की बैठक में और न ही कहीं बाहर।

वहीं, इसके पहले राहुल गांधी ने पत्र पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि जिस वक्त पत्र भेजा गया उस समय सोनिया गांधी अस्पताल में भर्ती थीं। पत्र उस समय लिखा गया था जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार संकट का सामना कर रही थी। इसमें जो लिखा गया था उस पर मीडिया के बजाय सीडब्ल्यूसी बैठक में चर्चा होनी चाहिए थी। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जिन्होंने इस वक्त चिट्ठी लिखी है वो भाजपा से मिले हुए हैं।

इस बयान पर कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेताओं ने नाराजगी जताई। इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सफाई दी। फिर सिब्बल ने अपना ट्वीट वापस ले लिया। सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी की बात का वो मतलब नहीं था और न ही उन्होंने ऐसा कहा। कृपया झूठे मीडिया बातचीत या गलत सूचना के प्रसार से भ्रमित न हों। हम सभी को एक साथ मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ लड़ना है न कि एक-दूसरे को चोट पहुंचाने या कांग्रेस के खिलाफ।

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