छत्तीसगढ़ में रंग- बिरंगी फूलगोभी उगाने लगे हैं किसान

कृषक वर्मा दंपति ने रंगीन फूलगोभी के बारे में विभिन्न स्त्रोतों से जानकारी जुटाई एवं इसका बीज मंगाकर खेती करना शुरू की। रंगीन गोभी के उत्पादन पश्चात कृषक को इसके बाजार की चिंता करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी, क्योंकि खेत से ही तुड़ाई के बाद उसकी हाथों-हाथ बिक्री आसानी से हो रही है।

रायपुर, 12 फरवरी।  परंपरागत तौर पर धान की खेती करने वाले छत्तीसगढ़ के किसान अब खेती-किसानी में नित-नये नवाचार करने लगे हैं। धान की आधुनिक खेती के साथ-साथ सुगंधित धान, फोर्टीफाईड धान की खेती की ओर तेजी से अग्रसर राज्य के किसान अब अन्य लाभकारी फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी के क्षेत्र में पूरी सफलता के साथ हाथ आजमाने लगे हैं।

धान के बदले अधिक मुनाफा देने वाली फसलों विशेषकर उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत फल-फूल, सब्जी, मसाला की खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है। उद्यानिकी की खेती में नवाचार कर राज्य के हजारों किसानों ने न सिर्फ अपनी स्थिति में बदलाव लाया है, बल्कि लोगों को पौष्टिक और स्वादिष्ट फल और सब्जी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में अहम रोल अदा कर रहे हैं।

बिलासपुर जिले के मस्तुरी ब्लॉक के मल्हार की महिला कृषक श्रीमती दिव्या देवी वर्मा ने उद्यानिकी के क्षेत्र में नवाचार का जो प्रयोग किया है, वह प्रशंसनीय है। श्रीमती दिव्या देवाी वर्मा अपने पति जदुनंदन प्रसाद वर्मा एवं परिवारजनों के साथ सामान्य बागवानी के अलावा गुणवत्तायुक्त चार प्रकार की रंगीन फूलगोभी की खेती कर अधिक मुनाफा अर्जित करने के साथ ही लोगों की भोजन-थाली को भी पौष्टिकता बना रहे हैं।

सामान्य खेती के साथ ही कुछ अलग करने की चाह रखने वाले वर्मा दंपति को कोरोना काल में पौष्टिक एवं गुणवत्ता युक्त फसल उत्पादन का विचार मन में आया। इसी के चलते कृषक वर्मा दंपति ने रंगीन फूलगोभी के बारे में विभिन्न स्त्रोतों से जानकारी जुटाई एवं इसका बीज मंगाकर खेती करना शुरू की। रंगीन गोभी के उत्पादन पश्चात कृषक को इसके बाजार की चिंता करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी, क्योंकि खेत से ही तुड़ाई के बाद उसकी हाथों-हाथ बिक्री आसानी से हो रही है।

वर्मा दंपत्ति द्वारा उत्पादित विभिन्न रंगों की गोभी को देखकर लोग बेहद आकर्षित होने लगे हैं। बीते 3 फरवरी को सांसद  राहुल गांधी रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में उद्यानिकी विभाग की प्रदर्शनी के अवलोकन के दौरान रंग-बिरंगी फूलगोभी देखकर आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता जताई थी। उन्होंने इसकी खेती के बारे में भी वर्मा दंपत्ति से जानकारी लेने के साथ ही उनके नवाचार को सराहा था।

कृषक श्रीमती वर्मा ने बताया की उनके पास दो एकड़ का खेत है, जिसमे उनका परिवार विगत 22 वर्षाे से खेती कर रहा है। धान के बदले उद्यानिकी फसल लेने से अब उन्हें अधिक लाभ होने लगा है। पहले वह केला की फसल ले रहे थे। इसी बीच उन्होंने रंगीन फूलगोभी की जानकारी प्राप्त की एवं सिंजेंटा कंपनी का बीज मंगाकर सामान्य फूलगोभी की तरह खेती करना प्रारंभ किया। वे पांच रंग की गोभी सफ़ेद, पीला, जमुनी, हल्का हरा रंग एवं हरे रंग में ब्रोक्क्ली का उत्पादन कर रहे हैं। सामान्य सफ़ेद रंग की गोभी से अलग रंगीन गोभी के स्वाद में मीठापन थोड़ा ज्यादा होता है। लगभग पौन एकड़ में 15000 पौधे लगाकर औसतन 8-10 हजार किलो का उत्पादन करने लगे हैं।

कृषक जदुनंदन वर्मा ने बताया कि गोभी की पौष्टिकता एवं गुणवत्ता को देखते हुए लोग उनके फार्म से सीधे खरीद कर ले जाते है। सामान्य गोभी के मुकाबले बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी मिलती है। इसकी कीमत बाज़ार में 100 रुपए किलो से ज्यादा है। राज्य में इसकी लोकप्रियता बढ़ते देख हर जगह से इसकी मांग बढ़ गयी है। रंगीन फूलगोभी की पौष्टिकता एवं गुणवत्ता को देखते हुए अब अन्य कृषक भी इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

उद्यानिकी संचालक माथेश्वरन वी. ने बताया की रंगीन गोभियां न केवल देखने में खूबसूरत लगती है, बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है। इसमें विटामिन ए कैरोटीन की मात्रा अधिक होती है। इसमें फाइटो केमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो बीमारी और बॉडी इंफेक्शन से लड़ने में सहायक होता है। ये वायरल संक्रमण से लड़ने में मदद भी करता है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और जिंक होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। यह बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है।

इसकी खेती के लिए ठंडी एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी काफी उपयुक्त मानी जाती है। इसको लगाने का सही समय सितंबर से अक्टूबर है, शेष अन्य सभी क्रियाएं फूलगोभी की खेती की तरह ही की जाती है। उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि उद्यानिकी की नई तकनीक एवं प्रजातियों को किसानों तक पहुंचाने में उद्यानिकी विभाग निरंतर प्रयासरत है, ताकि किसानों की आय को बेहतर किया जा सके।

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