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अरुणाचल प्रदेश 06 अक्टूबर 2025 को एक ऐतिहासिक दिन का गवाह बनेगा, जब राज्य के नामचिक-नामफुक कोयला ब्लॉक (Namchik-Namphuk Coal Block) में पहली वाणिज्यिक कोयला खदान (Commercial Coal Mine) का शुभारंभ होगा।

इस शुरुआत के साथ विकास, ऊर्जा सुरक्षा और स्थानीय समृद्धि का एक नया अध्याय लिखा जाएगा। केन्द्रीय मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी सबसे पहले भूमि पूजन करेंगे और उसके बाद खनन पट्टा सौंपेंगे। इसके बाद, वे नामचिक-नामफुक केन्द्रीय कोयला ब्लॉक से संबंधित सीपीपीएल के उपकरणों एवं मशीनों को हरी झंडी दिखाएंगे और अंत में 100 वृक्षारोपण पहल के तहत वृक्षारोपण अभियान में भाग लेंगे।

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कुल 1.5 करोड़ टन भंडार वाले नामचिक नामफुक कोयला ब्लॉक को पहली बार 2003 में आवंटित किया गया था। लेकिन, विभिन्न चुनौतियों के कारण इसे लंबी देरी और रुकावटों का सामना करना पड़ा। वर्ष 2022 में इसे एक पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के जरिए पुनर्जीवित किया गया, जिससे निजी क्षेत्र के प्रवेश के लिए द्वार खुल गए और वर्षों की देरी का अंत हुआ। यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ईस्ट – सशक्त बनाओ, कार्य करो, मजबूत करो, रूपांतरित करो- के विजन को आगे बढ़ाती है।

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यह विजन पूर्वोत्तर क्षेत्र के हर पहल के लिए एक मार्गदर्शक दर्शन है। इस उपलब्धि के साथ, अरुणाचल प्रदेश भारत की कोयला यात्रा में शामिल हो जाएगा। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है और इसने पिछले वर्ष रिकॉर्ड एक बिलियन टन उत्पादन के स्तर को पार किया। इस खदान से राज्य के लिए सालाना 100 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व और युवाओं के लिए रोजगार एवं समृद्धि सृजित होने की उम्मीद है।

यह शुभारंभ अवैध खनन, शोषण और राज्य के संसाधनों की बर्बादी को समाप्त करने का भी प्रतीक है। इससे विकास, पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित होगी और लोगों को लाभ होगा।

अरुणाचल प्रदेश में पहली बार महत्वपूर्ण खनिजों को भी अनलॉक किया जा रहा है। राज्य के दो और असम के पांच ब्लॉक नीलामी के अधीन हैं, जो भविष्य की तकनीक और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। अधिकारियों से शीघ्र ही कामकाज शुरू करने का आग्रह किया गया है, जिससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार एवं समृद्धि पैदा होगी और स्थानीय संसाधनों, स्थानीय नौकरियों एवं स्थानीय शक्ति के जरिए आत्मनिर्भर भारत के मार्ग को बल मिलेगा।

विकास को बढ़ावा देते हुए, सरकार ने अपनी इस प्रतिबद्धता को दोहराया है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में होने वाले खनन से इकोलॉजी को किसी भी तरह की क्षति नहीं पहुंचने दी जाएगी। अपनी हरी-भरी घाटियों, नदियों और मजबूत समुदायों के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र को सतत खनन के एक वैश्विक मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। कोयला क्षेत्र ने पहले ही 57,000 हेक्टेयर भूमि का पुनर्ग्रहण कर लिया है और मिशन ग्रीन कोल रीजन्स के तहत 2030 तक 16,000 हेक्टेयर और भूमि का पुनर्ग्रहण कर लेगा। खनन को जनभागीदारी से प्रेरित एक आर्थिक, इकोलॉजी से संबधित और सामुदायिक जिम्मेदारी के रूप में किया जा रहा है।

पिछले 11 वर्षों के दौरान, पूर्वोत्तर क्षेत्र में कुल 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है। अकेले अरुणाचल प्रदेश में, आवंटन 2014 से पहले के 6,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014 के बाद एक लाख करोड़ रुपये हो गया है, यानी 16 गुना वृद्धि।

जीएसटी से संबंधित सुधारों ने जहां चाय, रेशम, हस्तशिल्प और पर्यटन जैसे पारंपरिक क्षेत्रों को बढ़ावा दिया है, वहीं 16,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों, 80,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों, 2,000 पुलों, 19 हवाई अड्डों, सेला सुरंग और भूपेन हजारिका पुल के जरिए कनेक्टिविटी के मामले में क्रांति आई है।

रेल निवेश पांच गुना बढ़ गया है और कुल 77,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम जारी है। पूर्वोत्तर गैस ग्रिड ऊर्जा को उद्योगों के करीब ला रहा है, जबकि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम ने 450 सीमावर्ती गांवों को जोड़ा है। इन प्रयासों ने इस क्षेत्र को एक संघर्ष क्षेत्र से बदलकर विकास का इंजन बनाते हुए इसे विकसित भारत के केन्द्र में अष्टलक्ष्मी क्षेत्र के रूप में स्थापित किया है।

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कोयला क्षेत्र की असली ताकत माने जाने वाले, मजदूरों को सुरक्षा, वेतन, स्वास्थ्य सेवा, छात्रवृत्ति और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करके सहायता प्रदान की जा रही है। कल्याणकारी उपायों में बीमा एवं ऋण सहित कॉरपोरेट वेतन पैकेज, एक करोड़ रुपये का दुर्घटना कवर, दो करोड़ रुपये का हवाई दुर्घटना कवर, ठेका मजदूरों के लिए पहली बार बीमा, घातक दुर्घटनाओं के लिए 25 लाख लाख रुपये की अनुग्रह राशि और पहचान, सम्मान एवं एकता का संचार करने के लिए एक समान ड्रेस कोड योजना शामिल है।

नामचिक नामफुक कोयला ब्लॉक का शुभारंभ विकास, इकोलॉजी और जनभागीदारी के एकीकरण का एक ऐसा प्रतीक होगा, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा, सामुदायिक कल्याण और आत्मनिर्भर भारत को समर्थन प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, कोयला एवं खनन क्षेत्र पूर्वोत्तर को विकास, हरित ऊर्जा और जन सशक्तिकरण का एक उज्ज्वल उदाहरण बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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