छत्तीसगढ़ के बॉक्साइट भंडार का भू-तकनीकी मूल्यांकन परियोजना के लिए हुआ एमओयू

इसका लाभ बॉक्साइट और लेटराइट अयस्कों का कार्य कर रहे उद्यमियों के अलावा छत्तीसगढ़ और मध्य भारत में स्थित मौजूदा खान मालिकों और बॉक्साइट उद्योगों को भी मिलेगा।

रायपुर, 12 मई : छत्तीसगढ़ विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (सीकॉस्ट), रायपुर एवं जवाहरलाल नेहरू एल्यूमिनियम अनुसंधान, विकास और अभिकल्प केंद्र (जे.एन.आर.डी.डी.सी.) खनिज मंत्रालय, भारत सरकार के बीच यहां ‘‘छत्तीसगढ़ के बॉक्साइट भंडार के भू-तकनीकी मूल्यांकन‘‘ परियोजना हेतु एमओयू हस्ताक्षरित हुआ है।

दोनों संस्थान अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की मदद से छत्तीसगढ़ में स्थित बॉक्साइट और लेटराइट भंडार के भू-तकनीकी मूल्यांकन और भू-संदर्भित मानचित्रों का उपयोग कर लेटराइट और बॉक्साइट भण्डारण के जिलेवार डिजिटल डेटाबेस तैयार करेंगें। एमओयू पर छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और रीजनल विज्ञान केंद्र के महानिदेशक डॉ. एस. कर्मकार और जेएनएआरडीडीसी, के निदेशक डॉ अनुपम अग्निहोत्री ने हस्ताक्षर किया।

अच्छे ग्रेड के कच्चे अयस्क (बॉक्साइट) की कमी का सामना कर रहे एल्युमीनियम उद्योग और विभिन्न रूपों और प्रक्रियाओं में एल्यूमीनियम का उपयोग करने वाले बॉक्साइट खनिक और उद्योगों के लिए यह परियोजना काफी उपयोगी होगी। इसका लाभ बॉक्साइट और लेटराइट अयस्कों का कार्य कर रहे उद्यमियों के अलावा छत्तीसगढ़ और मध्य भारत में स्थित मौजूदा खान मालिकों और बॉक्साइट उद्योगों को भी मिलेगा। राज्य के नए उद्यमी रिमोट सेंसिंग एवं जीआईएस से प्राप्त डेटाबेस का उपयोग किसी भी विद्यमान खनिक, एल्यूमीनियम उद्योग में किया जा सकता है।

इस अवसर पर सीकॉस्ट वैज्ञानिक ई-1 एम. के. बेग, वैज्ञानिक सी (स्थापना) डॉ वसीम रजा, और परियोजना वैज्ञानिक युद्धवीर सिंह एवं जेएनएआरडीडीसी, खनिज मंत्रालय, भारत सरकार, नागपुर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ प्रवीण भुकटे, सचिव प्रशासन अधिकारी आर श्रीनिवासन, तकनीकी सलाहकार संजय वाडोडकर, और वैज्ञानिक सहायक गोपाल द्वारे उपस्थित थे।

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