नई दिल्ली, 22 जून। गुरुवार को कोल इंडिया (CIL) प्रबंधन द्वारा 11वें वेतन समझौते के तहत नया वेतनमान लागू करने का आदेश जारी किए जाने के साथ ही इसका श्रेय लेने वाली पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी है।

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इस पोस्ट के अनुसार BMS से सम्बद्ध अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के निरंतर प्रयास से कोयला कामगारों का 11वां वेतन समझौता संभव हो सका है। अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ से जुड़े लोगों द्वारा की जा रही इस पोस्ट में डीपीई को लेकर कोयला कामगारों को भ्रमित करने के प्रयास का आरोप लगाया गया है।

यहां बताना होगा कि NCWA- XI के लिए जेबीसीसीआई का गठन हुआ था। जेबीसीसीआई- XI में चार यूनियन एचएमएस, बीएमएस, सीटू एवं एटक सम्मिलित थी। जेबीसीसीआई की आठ बैठकें हो जाने के बाद कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश से पांचवीं यूनियन इंटक की एंट्री हुई। इस तरह से पांचों यूनियन के प्रतिनिधियों ने जेबीसीसीआई में रहकर 11वें वेतन समझौते को अंतिम रूप देने में समेकित प्रयास किया।

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दूसरी ओर जेबसीसीआई के गठन में ही डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेस के कार्यालय ज्ञापन 24 नवम्बर, 2017 के प्रावधान निहित थे। 11वें वेतन समझौते के एमओयू पर हस्ताक्षर करने और कोल, सेक्रेटरी और कोयला मंत्री के दस्तखत हो जाने के बाद भी डीपीई की पेंच फंस गई थी। बताया गया है कि इस पूरे तकनीकी प्रकरण में सीआईएल चेयरमैन का प्रयास रहा है। उन्होंने किसी तरह लाइजिनिंग पर डीपीई की पेंच को बाहर निकाला और गुरुवार यानी 22 जून को नया वेतनमान लागू करने का आदेश जारी हो सका।

 

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