बादल मोहराना, श्रमिक नेता

कोयला निकालने के पश्चात भूमि उपयोगों के स्थायित्व एवं उत्पादकता के लिए खनन द्वारा अव्यवस्थित भूमि को वापस लौटाना पर्यावरणीय प्रबंधन नियमों की तहत कोल इंडिया की नैतिक जिम्मेदारी है। लैंड रेक्लेमेंसन ( land reclamation) नीति के तहत जमीन से कोयला निकलने के पश्चात उसे पुनः मिट्टी से भरना होगा और जमीन को उपजाऊ स्थिति में लाना होगा।

पारिस्थितिकीय पुनरुद्धार

खानों में तथा खानों के आस- पास वृक्षारोपण और वनस्पति एवं जीव- जंतुओं के पुनर्स्थापन जैसे कार्यकलाप इसके अंतर्गत है। समुचित पुनरुद्धार अर्थात जैविक पुनरुद्धार के बाद माइन क्लोजर प्रक्रिया प्रारंभ की जानी चाहिए। यह देखा जा रहा है कि पारिस्थितिकीय पुनरुद्धार सही ढंग से न होने के कारण कोयला कंपनियां, खदान बंद होने का कई सालों के बाद भी, लीजडीड के तहत राज्य सरकार से ली गई जमीन को उचित हिताधिकारियों को वापस नहीं किया जा रहा है। जब तक प्राकृतिक तरीके से जमीन का जैविक पुनरुद्धार नहीं हुआ है, कम से कम उस जमीन का उचित प्रयोग होना चाहिए, जैसे कि उसके ऊपर सोलर एनर्जी प्लांट लगाया जा सकता है।

जमीन का उपयोग न होने के कारण, जमीन माफ़िया इस पर कब्जा कर आनंद उठा रहे हैं। दूसरी तरफ कोयला कंपनियों को हर साल करोड़ों रुपए सरकार को टिकस देना पड़ रहा है। कोयलांचल में ऐसे कई परिवार है जिनके पास, 2/4 वर्ग फीट की जमीन नहीं है। रिकॉर्ड के तहत जमीन न होने के कारण वैसे लोग सभी प्रकार की सुविधाओं से वंचित है। पुनरुद्धार जमीन सरकार को वापस हो जाएगी तो, ऐसे तमाम भूमिहीनों को घर बनाने के लिए, थोड़ी सी जमीन दी जा सकती है। सिर्फ योजना, घोषणा, सरकार को प्रतिश्रुति दे कर चुप हो जाने में सीमित नहीं होना चाहिए। कोल इंडिया की सहयोगी कंपनियों ने सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए कमिटमेंट किए हैं, परंतु समय सीमा अंदर सभी प्रकल्प कार्य समाप्त होगा ऐसा नहीं लग रहा है।

कोल इंडिया नैतिक मूल्यों के सिद्धांत जब तक पुरानी चिरचरित सोच से ऊपर नहीं उठेगा, तब तक कोल इंडिया का नीतिगत और सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता है। सभी कोयला क्षेत्र में कम से एक ऑफ़ ग्रिड सोलर पॉवर प्लांट अपने दैनंदिन आवश्यकता पूरा करने के लिए स्थापित किया जाना चाहिए। नाम परिवर्तन होने से पहले काम में परिवर्तन वर्तमान की मांग है।

 

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