केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा है कि वर्ष 2025 तक बिजली क्षेत्र के लिए कोयला आयात घटकर केवल 2 प्रतिशत रह जाएगा क्योंकि घरेलू कोयला उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है।

वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 9वें दौर के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए श्री जोशी ने बताया कोयला उत्पादन और कुल व्यापार में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए रिकॉर्ड प्रदर्शन किया गया है इस उपलब्धि के लिए उन्होंने कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और सहायक कंपनियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस साल कुल कोयला उत्पादन एक बिलियन टन से अधिक होने की आशा है और भारत का कोयला क्षेत्र देश की ऊर्जा सुरक्षा में लगातार योगदान दे रहा है तथा इससे हमारी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है।

श्री जोशी ने कहा कि भारत द्वारा अपनाई जा रही सतत कोयला खनन प्रथाओं के कारण देश उत्सर्जन नियंत्रित करने में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है। उन्होंने बताया कि कोयला गैसीफिकेशन के लिए 6000 करोड़ रूपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है। खनन क्षेत्र को अधिक मजबूत करने के लिए कोयला सार्वजनिक उपक्रमों ने हाल के वर्षों में 100 मिलियन पौधे लगाए हैं।

वाणिज्यिक कोयला खनन से देश में नए निवेश आने और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से रोजगार सृजन की उम्मीद है। नीलामी से प्राप्त संपूर्ण राजस्व कोयला धारक राज्य सरकारों को आवंटित किया जाएगा, जिससे कोयला धारक राज्यों झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, बिहार और असम को सामाजिक-आर्थिक लाभ होगा।

अब तक नीलाम की गई खदानों से कोयला खनन से सालाना ~33,343 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। ~220.90 एमटीपीए की कुल पीक दर क्षमता स्तर पर उत्पादन को ध्यान में रखते हुए ये खदानें जब पूरी तरह से चालू हो जाएंगी, तो वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग तीन लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेंगी और इन कोयला खदानों को चालू करने के लिए 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का कुल निवेश होगा।

श्री जोशी ने असाधारण प्रदर्शन करने वाली कोयला और लिग्नाइट खदानों को स्टार रेटिंग पुरस्कार भी दिए और विशेष अभियान 3.0 के हिस्से के रूप में विभिन्न श्रेणियों में कोयला केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) को प्रमाण पत्र वितरित किए। इन्होंने विशेष अभियान 3.0 के अंतर्गत संस्थागत स्वच्छता और लंबित मामलों को कम करने में योगदान दिया है।

समारोह को संबोधित करते हुए कोयला मंत्रालय के सचिव अमृत लाल मीणा ने कोयला उत्पादन के सर्वश्रेष्ठ महत्व को रेखांकित किया और पांच सितारा रेटिंग हासिल करने वाली कोयला खदानों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह मान्यता कोयला और लिग्नाइट खनन क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेगी।

अपर सचिव और नामित प्राधिकारी एम नागराजू ने सतत कोयला उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय द्वारा किए गए विभिन्न सुधारों पर प्रकाश डाला।

सरकार ने 01 अप्रैल, 2019 से स्टार रेटिंग नीति को मंजूरी दी गई थी। इसका उद्देश्य खानों के बीच प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाकर और जिम्मेदार खनन प्रथाओं को बढ़ावा देकर देश में कोयला और लिग्नाइट खनन के समग्र प्रदर्शन और स्थिरता को बढ़ाना था। इस नीति ने कोयला और लिग्नाइट खनन में प्रदर्शन और स्थिरता मानकों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है, जिससे राष्ट्रव्यापी भागीदारी को बढ़ावा मिला है। स्टार रेटिंग फाइव स्टार से लेकर स्टार रहित तक होती है, प्रत्येक खदान की उपलब्धियों का समग्र रूप से तीन श्रेणियों में मूल्यांकन किया जाता है : अंडरग्राउंड माइंस (यूजी), ओपनकास्ट माइन (ओसी), और मिश्रित खदानें। इन सात मॉड्यूल में ओपन कास्ट खदानों में कुल 50 और भूमिगत खदानों में 47 मूल्यांकन पैरामीटर निर्दिष्ट हैं।

पिछले चार वर्षों (2018-19, 2019-20, 2020-21, 2021-22) में, कुल 68 खदानों ने 9 से अधिक स्कोर करके 5-स्टार रेटिंग के लिए अर्हता प्राप्त की है, जिसमें 39 खदानें पहली, दूसरी और तीसरा पुरस्कार रैंकिंग पर हैं।

इसके अतिरिक्त कोयला मंत्रालय ने सार्वजनिक शिकायतों, पीएमओ संदर्भों, सीएमओ संदर्भों और इंटीग्रेटेड मार्केटिंग कम्युनिकेशन (आईएमसी) मामलों में शत-प्रतिशत सफलता हासिल करके विशेष अभियान 3.0 को सफलतापूर्वक पूरा किया है। कोयला मंत्रालय और उसके सीपीएसई ने सभी मंत्रालयों/विभागों के बीच ‘स्पेस फ्रीड’ श्रेणी में शीर्ष स्थान हासिल किया है। कोयला सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने रचनात्मक रूप से खनन स्क्रैप सामग्री को रिसाइकिल करके आश्चर्यजनक मूर्तियों और विभिन्न कलाकृतियों के रूप में पुनर्निर्मित किया है।

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