सृष्टि रानी के इलाज के लिए एसईसीएल प्रबंधन ने पिता को सौंपा 16 करोड़ रुपए का चेक

शुक्रवार को एसईसीएल दीपका के महाप्रबंधक शशांक कुमार देवांगन ने सृष्टि रानी के पति सतीश कुमार को 16 करोड़ रुपए का चेक प्रदान किया।

कोरबा, 19 नवम्बर। सृष्टि रानी के इलाज के लिए एसईसीएल प्रबंधन ने 16 करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी है। शुक्रवार को एसईसीएल दीपका के महाप्रबंधक शशांक कुमार देवांगन ने सृष्टि रानी के पति सतीश कुमार को 16 करोड़ रुपए का चेक प्रदान किया।

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एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत ओवरमैन सतीश कुमार रवि की दो साल की बेटी सृष्टि रानी ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) नामक एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है। अमूमन छोटे बच्चों में होने वाली इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पातीं और धीरे-धीरे यह बीमारी प्राणघातक होती चली जाती है। इसका इलाज बेहद ही महंगा है और इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन ‘जोलजेंस्मा’ की कीमत 16 करोड़ रुपए है। कोल इंडिया चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने 16 नवम्बर को कोयला परिवार की बिटिया के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए की राशि प्रदान किए जाने की मंजूरी दी थी।

सृष्टि रानी के इलाज के लिए विदेश से आयात कर 16 करोड़ रुपए का ‘जोलजेंस्मा’ इंजेक्शन दिया जाना है। एम्स, दिल्ली में इलाज के बाद सृष्टि फिलहाल अपने पिता के कार्यस्थल दीपका के आवास में रह रही है, जहां उन्हें पोर्टेबल वेंटिलेटर पर रखा गया है।

गौरतलब है कि अपने जन्म के 6 महीने के भीतर ही सृष्टि काफी बीमार रहने लगी। इस बीच कोविड महामारी की वजह से उसके माता-पिता उसे बेहतर इलाज के लिए बाहर नहीं ले जा सके और स्थानीय स्तर पर उसका इलाज चलता रहा।

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हालत में सुधार न होता देख श्री सतीश दिसंबर, 2020 में सृष्टि के इलाज के लिए सीएमसी वेल्लोर गए, जहां जांच के बाद पता चला कि उसे ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) है और ‘जोलजेंस्मा’ इंजेक्शन की जरूरत होगी, जो भारत के बाहर उपलब्ध है। 30 दिसंबर, 2021 को जब सतीश, सृष्टि को वेल्लोर से लेकर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला स्थित दीपका के अपने आवास लौट रहे थे तो रास्ते में ही सृष्टि की तबीयत ज्यादा खराब हो गई और उसे एसईसीएल से इंपैनल्ड अपोलो अस्पताल बिलासपुर में भर्ती करना पड़ा। वहां काफी समय इलाज चलने के बाद सतीश ने एम्स दिल्ली से सृष्टि का इलाज कराया। फिलहाल बच्ची का इलाज घर पर ही चल रहा है, जहां वह पोर्टेबल वेंटिलेटर पर है।

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