बोकारो, 01 नवम्बर। गैर कार्यपालक कर्मियो के वेज रीविजन मे की गई अनियमितता तथा इस्पात मंत्रालय की उदासीनता का मामला प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है।

इस्पात मंत्रालय (Steel Ministry) द्वारा संज्ञान नहीं लेने पर बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ (BAKS) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के मुख्य सचिव डॉ. पीके मिश्र तथा भाजपा (BJP) अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा को दस्तावेज के साथ शिकायती पत्र भेजा है। पत्र में सेल के गैर कार्यपालक कर्मियो के वेज रीविजन में की गई अनियमितता तथा इस्पात मंत्रालय की उदासीनता का उल्लेख किया गया है।

बीएकेएस, बोकारो के अध्यक्ष हरिओम ने बताया कि सेल प्रबंधन ने इस्पात मंत्रालय को गुमराह कर 22. 10. 2021 को मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग (MoU) का हवाला देकर वेतन समझौता की मंजूरी ले ली, लेकिन वेतन समझौते का मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (MoA) नहीं किया गया।

वेज रीविजन में न तो एनजेसीएस संविधान के नियमां का अनुपालन किया गया तथा न ही कोयला, इस्पात तथा खान संसदीय समिति की अनुशंसाओं को लागू किया गया। एनजेसीएस में बाहरी तथा गैर निर्वाचित यूनियन नेताओं को प्रभावित कर मनमाने तरीके से वेज रीविजन को लागू कर दिया गया।

इस्पात कर्मियां के अटके प्रमुख मुद्दे 

  • वेतन समझौता नहीं होने का कारण आज तक अंतिम रुप से मिनिमम गारंटी बेनिफिट (MGB) तथा पर्क्स प्रतिशत फाइनल नहीं हो सका है।
  •  MoA नहीं होने का कारण 39 माह का फिटमेंट एरियर और 58 माह का पर्क्स एरियर का आज तक निर्धारण नहीं हुआ है।
  • गैर वैधानिक लाभों (ऋण तथा एडवांस ) पर भी कुछ निर्णय नहीं हुआ है।

वेज रीविजन एमओयू में नियमों की अवहेलनाओ की सूची

  • एनजेसीएस संविधान का उल्लंघन कर पांच में से तीन यूनियन की सहमति से वेज रीविजन किया गया। एनजेसीएस संविधान में स्पष्ट लिखा है कि सभी यूनियन की सहमति जरूरी है।
  • बगैर MoA किए हुए ही सिर्फ MoU के आधार पर वेतन समझौता को लागू कर दिया गया।
  • 11,000 अधिकारी वर्ग के वेतन समझौते पर सेल प्रबंधन ने 667 करोड़ रुपए खर्च किया जिसमे जूनियर मैनेजर से लेकर सेल चेयरमैन तक को आर्थिक फायदा हुआ। सेल में अधिकारी वर्ग को 15% MGB, 35% पर्क्स का लाभ दिया गया। साथ में 18 माह का पर्क्स का एरियर देने के लिए इस्पात मंत्रालय ने वेज रीविजन को 01. 04. 2020 से प्रभावी करने सर्कुलर निकाला। सेल अधिकारी वर्ग के वेज रीविजन में कुछ भी बकाया नहीं है।
  • 56,000 कर्मचारियां के वेतन समझौता के लिए मात्र 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया।
  • सेल गैर कार्यपालक कर्मचारियों के वेतन समझौते को 01. 04. 2020 से प्रभावी किया गया जबकि वेतन समझौता 01. 01. 2017 से लंबित है।
  • पर्क्स का एरियर नहीं देना पड़े इसके लिए इस्पात मंत्रालय ने सरकार की मंजूरी तिथि को आधार बनाया। इसके कारण सेल गैर कार्यपालक कर्मचारियो को अधिकारी वर्ग के मुकाबले 18 माह के पर्क्स का एरियर का नुकसान हुआ है।
  • वहीं एनजेसीएस डव्न् में 39 माह का फिटमेंट एरियर देने का समझौता करने के बावजूद आज तक इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया।

इन आंकड़ो से भी अधिकारी तथा कर्मचारी वर्ग के साथ किए गए भेदभाव को समझा जा सकता है 

मद     अधिकारी  कर्मचारी   अन्य महारत्न
MGB     15%     13%        15%
Perks    35%     26.5%     35%
Perks   18 माह    शून्य         100%

सेल की आर्थिक स्थिति पर एक नजर 

  • पिछले 5 सालों का कर पूर्व लाभ (PBT) – 32084 करोड़ रुपए
  • वित्त वर्ष 2021- 22 में रिकार्ड 16,039 करोड़ रुपए कर पूर्व लाभ तथा कर्ज में लगभग 22,000 करोड़ रुपए की कमी

वित्त वर्ष 2022- 23 मे रिकॉर्ड प्रदर्शन 

  • सबसे अधिक टर्नओवर 1 लाख 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक का Gross Sales
  • सबसे अधिक हॉट मेटल, क्रुड स्टील तथा सैलेबल स्टील का उत्पादन
  • पिछले 10 वर्षां में लेबर प्रोडक्टिविटि 261 Tcs/E/Y से बढ़कर 521 Tcs/E/Y
  • मैनपावर मे 34 प्रतिश की कमी

BAKS अध्यक्ष हरिओम ने यह कहा

BAKS, बोकारो के अध्यक्ष हरिओम ने कहा कि सेल कर्मचारी, कर्मचारी होने के साथ भारत के नागरिक और मतदाता भी हैं। इंटक, सीटू, एटक तथा एचएमएस के नेता यूनियन राजनीति की जगह राजनीतिक दलों की राजनीति करते हैं। ये एक तरफ प्रबंधन के साथ मिलकर कर्मचारियों का शोषण करवाते हैं तो दूसरी तरफ प्रत्येक शोषण की जिम्मेदारी सरकार पर मढ़ते हैं। वहीं बीएमएस लगभग सभी मुद्दों पर उदासीन है। जबकि अन्य महारत्न कंपनियो एनटीपीसी, पावरग्रीड, ओएनजीसी, नालको, कोल इंडिया मे बेहतर वेज रीविजन तथा बोनस तय हुआ है।

BAKS महासचिव दिलीप ने यह कहा

BAKS बोकारो के महासचिव दिलीप ने कहा कि इस्पात मंत्रालय उदासीन बना हुआ है। इतने गड़बड़ियों के दस्तावेज उपलब्ध कराने के बावजूद प्रबंधन के खिलाफ कोई कदम नही उठा रहा है। मजबूर होकर हमें प्रधानमंत्री कार्यालय के समक्ष मुद्दों को उठाना पड़ा है। डीपीई सचिव तथा केंद्रीय श्रम मंत्री के निर्देश के बावजूद सेल प्रबंधन ने वेज रीविजन मामले को हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।

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