भारत की अध्यक्षता में UNSC में अफगानिस्तान पर प्रस्ताव पारित, तालिबान से कहा- देश छोड़ने वालों को मुहैया कराएं सेफ पैसेज

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने तालिबान से कहा है कि वह यह सुनिश्चित करें कि अफगानिस्तान आतंकवादियों की पनाहगाह नहीं बनेगा।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने तालिबान से कहा है कि वह यह सुनिश्चित करें कि अफगानिस्तान आतंकवादियों की पनाहगाह नहीं बनेगा। दरअसल, भारत की अध्यक्षता में संपन्न सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक में अफगानिस्तान के संबंध में एक प्रस्ताव निर्विरोध पारित हुआ।

प्रस्ताव के पक्ष में पड़े 13 वोट

तालिबान से कहा गया है कि वह मानवाधिकारों का सम्मान करें तथा जो लोग अफगानिस्तान छोड़कर जाना चाहते हैं, उनके लिए सुरक्षित मार्ग (सेफ पैसेज) सुनिश्चित करें।

इस प्रस्ताव के पक्ष में 13 वोट पड़े। इसके विरोध में कोई मत नहीं पड़ा। हालांकि रूस और चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया।

विचार विमर्श के जरिए समस्याओ के समाधान पर जोर

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने सुरक्षा परिषद में पारित प्रस्ताव के प्रमुख बिंदुओं के बारे में ट्वीट के जरिए जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि सुरक्षा परिषद ने इस बात पर जोर दिया है कि अफगानिस्तान में विचार विमर्श के बाद समस्याओ का समाधान किया जाना चाहिए।

सुरक्षा परिषद में पारित प्रस्ताव :

  • प्रस्ताव में कहा गया है कि तालिबान से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अफगान तथा विदेशी ना‍गरिकों को सुरक्षित तरीके से देश छोडने की अनुमति देगा।
  • प्रस्‍ताव में कहा गया कि अफगानिस्‍तान की जमीन का इस्‍तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाएगा।
    >अफगानिस्‍तान में महिलाओं और अल्‍पसंख्‍यकों , विशेष रूप से सिख तथा हिन्‍दू समुदाय के लोगों की रक्षा की जाएगी।
    >प्रस्ताव में तालिबान से यह भी कहा गया है कि वह संयुक्त राष्ट्र और मानवीय सहायता मुहैया कराने वाली एजेंसियों की पहुंच और उन्हें बिना बाधा के काम करने की छूट दे।
    >सुरक्षा परिषद ने तालिबान से कहा है कि वे विश्व संस्था द्वारा पहले पारित प्रस्ताव 1267 के तहत चिन्हित आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करें।
    >प्रस्ताव में ऐसे आतंकवादियों और उनके संगठनों के खिलाफ यात्रा संबंधी प्रतिबंध और उनकी संपत्ति जप्त करने आदि के प्रावधान हैं।
    >तालिबान से प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि वे महिलाओं, अल्पसंख्यकों और अध्ययनरत छात्राओं के अधिकारों का सम्मान करें।
    गौरतलब हो कि 15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद सुरक्षा परिषद की ओर से यह पहला प्रस्ताव पारित हुआ है। अगस्त के महीने में अब तक अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर सुरक्षा परिषद की चार बार बैठक हुई है। पिछले तीन अवसरों पर इस विश्व संस्था ने केवल प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी।
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