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लखनऊ, 06 अक्टूबर। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय को निरस्त की मांग जोर पकड़ते जा रही है। बिजली कर्मियों ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केन्द्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि 06 अक्टूबर, 2020 को वित्त मंत्री एवं पूर्व ऊर्जा मंत्री से वार्ता के बाद विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के साथ लिखित समझौता हुआ था। समझौते के पहले बिन्दु में ही लिखा गया है “विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही सुधार हेतु कर्मचारियों और अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जायेगी। कर्मचारियों और अभियंताओं को विश्वास में लिये बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जायेगा।“

संघर्ष समिति ने कहा कि इतने वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के साथ किए गये लिखित समझौते का खुला उल्लंघन कर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा ऐलान किए जाने का दुष्परिणाम यह है कि प्रदेश के ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मी विगत 314 दिनों से सड़क पर उतरकर आंदोलन करने हेतु विवश हैं।

संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी सदा ही संघर्ष से पहले सुधार को महत्व देते हैं, किंतु बड़े अफसोस की बात है कि 06 अक्टूबर 2020 को हुए समझौते के अनुरूप पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने सुधार पर आज तक विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र से कोई वार्ता नहीं की।

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उल्लेखनीय है कि संघर्ष समिति ने समझौते के एक महीने के अंदर ही पॉवर कॉरपोरेशन प्रबन्धन को सुधार का प्रस्ताव दे दिया था। संघर्ष समिति ने कहा कि इतने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ हुए समझौते का सम्मान न करने से बिजली कर्मियों में अनावश्यक रूप से अविश्वास का वातावरण बन रहा है जो सरकार और प्रबन्धन दोनों के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

समझौते के ठीक पांच साल पूरा होने पर आज बिजली कर्मियों ने सभी जनपदों में समझौते की प्रतियां लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। बिजली कर्मियों ने नारे लगाये “ समझौते का सम्मान करो, निजीकरण वापस लो।“

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