नई दिल्ली (IP News). शुक्रवार को आँल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ईस्टर्न जोन महिला विंग की मीटिंग आयोजित हुई। महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि निजीकरण और निगमीकरण के खिलाफ फेडरेशन ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस संघर्ष में महिलाओं को आगे बढ़कर हिस्सा लेना होगा, क्योंकि मुझे यकीन है कि महिलाएं जो तय कर लेती है, वो काम पूरी मेहनत से करतीं है। महामंत्री ने कहा कि दिसंबर के पहले सप्ताह में यूनियन की मान्यता का चुनाव भी संभव है। महिलाओं को इस चुनाव में भी पूरी ताकत से जुटना होगा, तभी कामयाबी संभव है।

आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने बताया कि निजीकरण के खिलाफ एक वृहद्द एकता का परिचय देते हुए सभी नेताओं ने फेडरेशन में भरोसा करते हुए उन्हें संयुक्त संघर्ष समीति का संयोजक और एनएफआईआर के महामंत्री को सह संयोजक की जिम्मेदारी दी है। जल्द ही आंदोलन की विस्तृत रुपरेखा तैयार कर संघर्ष का ऐलान किया जाएगा।

महामंत्री ने कहा कि एआईआरएफ के जबरदस्त संघर्ष के बाद बैकफुट पर आई सरकार को रेल कर्मियों को बोनस का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ा। महामंत्री ने इस जीत के लिए भी महिला रेल कर्मियों को बधाई दी और कहा कि बोनस मिलना इसीलिए संभव हो पाया क्योंकि 20 अक्टूबर को बोनस डे पर आप सभी ने बढ़चढ कर आंदोलन में हिस्सा लिया। महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच जब पूरा देश लाकडाउन में था, उस वक्त भी तमाम मुश्किलों के बावजूद महिलाओं ने अपने काम को पूरी लगन और मेहनत से अंजाम दिया।

खुद प्रधानमंत्री तक ने रेलकर्मियों के कार्यों की प्रशंसा की और उन्हें फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स बताया। लेकिन जब सुविधाएं देने की बात आई तो सरकार बगलें झांकने लगी। जब रेल कर्मचारी कोरोना पीडितों की मदद में लगे थे, उस वक्त सरकार ने एकतरफा आदेश जारी कर डीए फ्रीज कर दिया। बारी बोनस की आई तो फिर हीला हवाली शुरु हो गई। लेकिन 20 तारीख के प्रदर्शन को आप सब ने इतना ऐतिहासिक बना दिया कि सरकार को झुकना पड़ा और बोनस का भुगतान किया गया।

महामंत्री ने महिलाओं को आगाह किया कि आने वाला वक्त चुनौतीपूर्ण है, सरकार निजीकरण और निगमीकरण पर तेजी से आगे बढ़ना चाहती है। अगर रेल को बचाना है तो हम सबको मिलकर एक मुकम्मल संघर्ष करना जरूरी है। इसके लिए संयुक्त संघर्ष समिति की आवश्यकता को महसूस करते हुए फिलहाला इसका गठन कर लिया गया है, जल्दी ही पूरी टीम का ऐलान कर दिया जाएगा। इसके अलावा इस संघर्ष समिति की बैठक में आंदोलन की रणनीति को भी तैयार किया जाएगा, जिससे फिर सरकार रेल को बेचने की हिम्मत न कर सके। महामंत्री ने कहाकि अभी तो सरकार और निजीक्षेत्र कर्मचारियों को तरह तरह के प्रलोभन देने की कोशिश करेंगी, लेकिन हमें तय करना है कि हम हर हाल में भारतीय रेल को सरकारी क्षेत्र में ही रहने के लिए संघर्ष करेंगे।

महामंत्री ने कहाकि हम जानते हैं कि महिलाएं जो ठान लेती है, उसे अवश्य पूरा करती है। उन्होंने कहाकि यूनियन की मान्यता के लिए होने वाला चुनाव अब कभी भी हो सकता है, ज्यादा उम्मीद है कि ये चुनाव दिसंबर के पहले सप्ताह में हो, ऐसे में महिलाओं को इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। पहले भी हम कई जोन में सिंगल यूनियन थे, जहां कोई कसर बाकि रह गई थी, ये जिम्मेदारी अब महिलाओं को निभानी होगी। महामंत्री ने कहाकि मैं लगभग सभी जोन में महिलाओं की मीटिंग में शामिल हो चुका हूं, हमने महिलाओं में संगठन के प्रति उत्साह को देखा है, इस उत्साह को बनाए रखना होगा और मान्यता के चुनाव में पूरी ताकत से हर महिलाओं को जुटना होगा।

बैठक में कुछ महिलाओं ने कहाकि कि उन्हें मंडल और शाखा स्तर से उचित सहयोग नहीं मिलता है, जिसकी वजह से महिलाओं को एकजुट करने और किसी तरह के कार्यक्रम को आयोजित करने में मुश्किल होती है । महामंत्री ने कहाकि वो खुद जोन के महामंत्रियों से बात करेंगे और कोशिश होगी कि महिलाओं को संगठन के काम में किसी तरह की दिक्कत न हो। महामंत्री ने कहाकि महिलाओं को अपने काम के दम पर संगठन में खुद मजबूतत स्थान बनाना होगा, हमें पता है कि महिलाओं में क्षमता है और वो संगठन का काम भी बेहतर तरीके से कर सकती हैं।

एआईआरएफ की महिला चेयरपर्सन जया अग्रवाल ने महामंत्री को आश्वस्त किया कि संगठन को महिलाओं से जो अपेक्षा है, उसे महिलाएं अवश्य पूरा करेंगी । श्रीमति अग्रवाल ने कहाकि उनकी कोशिश होगी कि जिस जोन में भी महिलाएं चाहेंगी, वहां वह और नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन की महिला चेयरपर्सन प्रवीना सिंह जाएंगी, और महिलाओं को संगठित करने की कोशिश करेंगी, अगर फिजिकल मीटिंग संभव नहीं हो सकेगा तो वर्चुअल मीटिंग के जरिए इस काम को अंजाम दिया जाएगा।

नार्दर्न रेलवे मेन्स यूनियन की चेयरपर्सन प्रवीना सिंह ने कहाकि कोरोना के समय सुविधाएं न होने के बावजूद महिलाओं ने अपने काम के साथ संगठन के कार्यों को अच्छी तरह से अंजाम दिया। चूंकि इस दौरान काफी महिलाएं वर्क फ्राम होम कर रही थी, इसलिए घर और आफिस के काम के साथ ही संगठन के कार्य में भी भागेदारी करना आसान नहीं था, लेकिन महिलाओं ने पूरी ताकत से हर काम को पूरी ईमानदारी से किया।

इस मीटिंग को इस्टर्न रेलवे से शाबानी सोम , एनएफ रेलवे से मधुपर्णा, एसईआरएमयू से बाँबी मलिक, श्रमिक यूनियन से सोषन और ईस्टकोस्ट रेलवे से इतिश्री के अलावा कई अन्य महिलाओं ने भी संबोधित किया। एआईआरएफ के मीडिया डायरेक्टर महेन्द्र श्रीवास्तव ने यूनियन की मान्यता के चुनाव के मद्देनजर सोशल मीडिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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