Supreme Court
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देश की एकता, अखंडता और भाईचारे को खतरा है कुरान पाक की छब्बीस आयतों से. इनको पवित्र किताब से हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है.

कुरान पाक की 26 आयतों को क्षेपक यानी बाद में जोड़ी गई आयतें बताते हुए उनको पवित्र किताब से हटाने का आदेश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है. याचिकाकर्ता सैयद वसीम रिजवी ने याचिका के बारे में बताया कि इतिहास गवाह है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के निधन के बाद पहले खलीफा हजरत अबू बकर ने उन चार लोगों को पैगंबर हजरत मोहम्मद पर नाज़िल अल्लाह पाक के मौखिक संदेशों को किताब की शक्ल में संग्रहित करने को कहा. तब तक हजरत के मुख से समय-समय पर निकले संदेशों को लोग पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक तौर पर ही याद करते कराते रहे.

जैद बिन ताबित को मिली आयत लिखने की जिम्मेदारी

पहले खलीफा ने उन चार लोगों को जिम्मेदारी दी जो हजरत के साथ रहे थे. सही अल बुखारी ग्रंथ के मुताबिक उबे बिन काब, मुआज बिन जबल, ज़ैद बिन ताबित और अबु ज़ैद को ये जिम्मेदारी दी गई. उस वक्त तीन अन्य लोगों ने सर्वसम्मति से हफ्ज कुरान की आयतों को लिखने की जिम्मेदारी जैद बिन ताबित को दे दी.

कुरान पाक लिख दिया गया और उसे पैगम्बर मोहम्मद साहब की चौथी बीवी और दूसरे खलीफा हजरत उमर की बेटी हफ्सा के हाथों में सौंप दी गई.

फिर तीसरे खलीफा हजरत उस्मान के जमाने में अलग-अलग लोगों के लिखे करीब तीन सौ कुरान शरीफ प्रचलन में थे. तब उन्होंने कुरान पाक की मूल प्रति के लेखक हजरत जैद बिन थावित से कहा कि हजरत हफ्सा से मांग कर मूल किताब की नकल अपने साथियों अब्दुल्ला बिन जुबैर, सैद बिन अलास, अब्दुर्रहमान बिन हारित बिन हिशाम के सहयोग से तैयार करें. उसी वक्त इस्लाम को तलवार के दम पर फैलाने की मुहिम चल रही थी.

याचिकाकर्ता की दलील है कि उसी समय ये 26 आयतें जोड़ी गई. इन आयतों में इंसानियत के मूल सिद्धांतों की अवहेलना और धर्म के नाम पर नफरत, घृणा, हत्या, खून खराबा फैलाने वाले हैं.

मुस्लिम नौजवानों का ब्रेनवॉश किया जा रहा

तीसरे खलीफा के समय जब इस्लाम को और मजबूती से फैलाने की मुहिम चली तब इस्लामी दुनिया में कई कुरान शरीफ समाज में प्रचलित थे. इस्लामिक ग्रंथ सही अल बुखारी के मुताबिक ऐसे दौर में तीसरे खलीफा हज़रत उस्मान ने पुराने कुरान शरीफ की प्रति की नकल लिखवाई. बाकी बची कुरान शरीफ की सभी प्रतियां खलीफा उस्मान के फरमान से नष्ट करवा दी गईं. उस कुरान की प्रतियां ही आज तक पढ़ी सुनी और समझी जा रही हैं.

इसी पर सवाल उठाते हुए रिजवी ने कहा कि जब पूरे कुरान पाक में अल्लाहताला ने भाईचारे, प्रेम, खुलूस, न्याय, समानता, क्षमा, सहिष्णुता की बातें कही हैं तो इन 26 आयतों में कत्ल व गारत, नफरत और कट्टरपन बढ़ाने वाली बातें कैसे कह सकते हैं.

इन्हीं आयतों का हवाला देकर मुस्लिम नौजवानों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है. उनको जेहाद के नाम पर भड़काया, बहकाया और उकसाया जा रहा है. इन्हीं की वजह से देश की एकता, अखंडता पर खतरा है.

याचिका में ऐसी सभी 26 आयतों का मूल स्वरूप और अनुवाद भी लगाया गया है. साथ ही जेहाद में भटकी मानसिकता वाले युवकों के बयान भी मूल याचिका के एनेक्सचर में नत्थी किए गए हैं.

याचिका दाखिल करने से पहले याचिकाकर्ता रिज़वी ने एहतियातन मूल सवाल और याचिका की प्रति देशभर के 56 रजिस्टर्ड इस्लामिक संगठनों और संस्थानों को भी अपना रुख साफ करने के लिए भेजा है. लेकिन किसी भी जगह से अब तो कोई जवाब नहीं आया है. अगले हफ्ते इस याचिका पर शायद पहली सुनवाई हो जाए.

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