कोरबा (आईपी न्यूज)। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का मार्गप्रशस्त हुआ है। इधर, छत्तीसगढ़ राज्य की कांग्रेस सरकार ने भी श्रीराम के वनगमन पथ को सहजते हुए इन स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने का ऐलान किया हैै। गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रीपरिषद की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया।
आइए जानते हैं क्या है इतिहास और श्रीराम का वनगमन पथ
छत्तीसगढ़ का इतिहास जितना प्राचीन है, उतना ही प्रशस्त है। त्रेतायुगीन छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कौसल एवं दण्डकारण्य के रूप में विख्यात था। दण्डकारण्य में भगवान श्रीराम के वनगमन यात्रा की पुष्टि वाल्मीकि रामायण से होती है। शोधकर्ताओं की शोध किताबों से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रभु श्रीराम द्वारा अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से लगभग 10 वर्ष का समय छत्तीसगढ़ में व्यतीत किया गया था। छत्तीसगढ़ के लोकगीत में माता सीता जी की पहचान कराने की मौलिकता एवं वनस्पतियों के वर्णन मिलते हैं। प्रभु श्रीराम द्वारा उत्तर भारत से दक्षिण में प्रवेश करने के बाद छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्थानों पर चैमासा व्यतीत करने के बाद दक्षिण भारत में प्रवेश किया गया था। अतः छत्तीसगढ़ को दक्षिणापथ भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के भरतपुर तहसील में नदी से होकर जनकपुर नामक स्थान से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीतामढ़ी पर चैका नामक स्थल से प्रभु श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया। इस राम वनगमन पथ के विषय पर शोध का कार्य राज्य में स्थित संस्थान छत्तीसगढ़ स्मिता प्रतिष्ठान रायपुर द्वारा किया गया है। मनु लाल यादव द्वारा रामायण किताब का प्रकाशन किया गया है तथा इसी विषय पर छत्तीसगढ़ पर्यटन में राम वनगमन पथ के नाम से पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। प्रभु श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में 10 वर्षों के वनगमन के दौरान लगभग 75 स्थलों का भ्रमण किया था तथा इनमें 51 स्थान ऐसे हैं जहां प्रभु श्रीराम ने भ्रमण के दौरान कुछ समय व्यतीत किया था। शोधकर्ताओं ने अपने शोध में इन स्थलों में श्रीराम के भ्रमण किए जाने की पुष्टि की है।
ऐसी होगी विकास की योजना
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इन राम वनगमन पथ को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। इसका उद्देश्य राज्य में आने वाले पर्यटकों के साथ-साथ प्रदेश के लोगों को भी इन राम वनगमन मार्ग स्थलों से परिचित कराना है। इन स्थलों का भ्रमण करने के दौरान पर्यटकों को सुविधा हो सके, इस लिहाज से योजना तैयारी की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा बजट उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की योजनाओं से भी राशि प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा। इन स्थलों का राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार भी किया जाएगा। पहुंच मार्ग के साथ पर्यटक सुविधा केंद्र, इंटरप्रिटेशन सेंटर, वैदिक विलेज, पगोड़ा, वेटिंग शेड, पेयजल व शौचालय आदि मूलभूत सुविधाएं विकसित की जाएंगी। बताया गया है विकास कार्य शुभारंभ चंद्रपुरी में स्थित माता कौशल्या के मंदिर से किया जाएगा। विकास योजना तैयार करने के पूर्व विशेषज्ञों का एक दल सर्वे करेगा।
प्रथम चरण में इन स्थलों का होगा विकास
सीतामढ़ी हर चैक        – जिला कोरिया
रामगढ़                        – जिला सरगुजा,
शिवरीनारायण             – जिला जांजगीर चांपा
तुरतुरिया                     – जिला बलौदाबाजार- भाटापारा
चंद्रपुरी                        – जिला रायपुर
राजिम                         – जिला गरियाबंद
सिहावा                        – जिला धमतरी
जगदलपुर                   – जिला बस्तर

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