नई दिल्ली। सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में यूनाइडेट फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के बैनर 10 लाख से भी ज्यादा कर्मचारी और अधिकारियों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसी के तहत सोमवार से दो दिवसीय कामबंद हडताल का आगाज किया गया। हड़ताल में एसबीआई सहित सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों के कर्मी शामिल हैं। पहले दिन की हड़ताल का असर देखने को मिला है। कई बैंको ने अपने ग्राहकोें को पहले ही हड़ताल की वजह से कामकाज नहीं होनें की जानकारी दे दी थी।

बजट में की थी घोषणा

रअसल फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट का ऐलान करते समय कहा कि सरकार इस साल 2 सरकारी बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का फैसला किया है, जिसकी वजह से यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले 9 यूनियनों ने 15 और 16 मार्च को देश भर में हड़ताल करने की घोषणा की थी।

अब तक 14 सार्वजनिक बैंकों का हो चुका है मर्जर

केंद्र सरकार साल 2019 में ही एसआईसी में आईडीबीआई बैंक का मेजोरिटी हिस्सा बेच चुकी है। इसके साथ ही पिछले 4 सालों में 14 सार्वजनिक बैंकों का मर्जर किया है। अभी देश में 12 सरकारी बैंक हैं। उसके बाद इनकी संख्या घटकर 10 रह जाएगी। दो बैंकों का निजीकरण वित्तीय 2021-22 में किया जाएगा।

कौन-कौन है हड़ताल में शामिल?

यूएफबीयू के सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक एम्पलाॉइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडेरेशन, नेशनल कॉन्फेडेरेशन ऑफ बैंक एम्पलॉइज, ऑल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन और बैंक एम्पलॉइज कॉन्फेडेरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं।

 

 

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