ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन ने कहा कि रेलवे के पास खुद का छापाखाना है और आधुनिक मशीनें के साथ काम करने वाले कर्मचारी भी हैं। मगर रेलवे प्रशासन ने इन्हें बंद करने पर तुला है।

भारतीय रेलवे के छापाखाना बंद करने के निर्णय से इसकी यूनियन खासी परेशानी में पड़ गई है। रविवार को रेलवे की सबसे बड़ी यूनियन ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) ने इस संबंध में एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की। इसमें विचार किया गया कि छापाखाना बंद होने से कैसे बचाया जाए ताकि वहां काम कर रहे लोग बेरोजागर ना हों। कार्यशाला में फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि अपना छापाखाना होने के बाद भी इससे जुड़े काम बाहर ज्यादा पैसे देकर कराए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि रेलवे के पास खुद का छापाखाना है और आधुनिक मशीनें के साथ काम करने वाले कर्मचारी भी हैं। मगर रेलवे प्रशासन ने इन्हें बंद करने पर तुला है। सारे काम आउटसोर्स तरीके से किए जा रहे हैं। बकौल मिश्र रेलवे पहले भी छापाखाना बंद कराने के आदेश पारित कर चुका था। मगर फेडरेशन के विरोध पर इसे रोकना पड़ा। हम रेलवे के इस कदम को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे और सारे कर्मचारी जोरदार विरोध करेंगे। नहीं माने तो संघर्ष भी करेंगे।

मालूम हो कि देशभर में रेलवे प्रिंटिंग प्रेस (छापाखाना) बंद किए जाने पर एआईआरएफ नाराज है और सरकार से इस निर्णय पर रोक लगाने की अपील की है। नई दिल्ली के टीएन वाजपेई मेमोरियल हॉल में रेलव की प्रिंटिंग प्रेस को बनाए रखने के लिए आयोजित कार्यशाला में दूसरी रेलवे यूनियनों ने भी हिस्सा लिया। कार्यशाला में नॉर्दर्न रेलवे मेन्स यूनियन के अध्यक्ष एसके त्यागी भी मौजूद रहे। कार्यशाला को नेशनल रेलवे मेजदूर यूनियन के महामंत्री वी नायर, इस्टर्न रेलवे के महामंत्री अमित घोष, छापाखानों के शाखा सचिव मानस पाल, प्रताप सिंह और अनमोल गुप्ता ने भी अपनी बात कही।

 

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