नई दिल्ली, 12 फरवरी। 16 फरवरी को प्रस्तावित कामबंद हड़ताल (Strike) किसी तरह टल जाए, इस प्रयास में कोल इंडिया (CIL) प्रबंधन जुट गया है। सोमवार को इसी को लेकर चेयरमैन पीएम प्रसाद ने चारों यूनियन के प्रमुख नेताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग की।

इसे भी पढ़ें : कोयला नगरी कोरबा में राहुल गांधी बोले- मोदी सरकार कोल इंडिया का गला घोंट रही, देखें वीडियो :

सोमवार की सुबह 11 बजे करीब शुरू हुई यह मीटिंग करीब 25 मिनट चली। इसमें एचएमएस से हरभजन सिंह सिद्धु, इंटक से अनूप सिंह, सीटू से डीडी रामनंदन, एटक से रमेन्द्र कुमार सम्मिलित हुए। सीआईएल चेयरमैन श्री प्रसाद ने उत्पादन के पीक समय का हवाला देते हुए यूनियन नेताओं से हड़ताल टालने का आग्रह किया। चेयरमैन ने कहा कि हड़ताल के लिए जो मांगे रखी गई हैं उस पर प्रबंधन चर्चा करेगा।

यूनियन नेताओं ने कहा कि 16 फरवरी को देशव्यापी कामबंद हड़ताल है और यह केन्द्र सरकार के खिलाफ है। केन्द्र सरकार कोल इंडिया को निजीकरण की ओर ले जा रही है। एमडीओ, रेवन्यू शेयरिंग के जरिए इस ओर कदम बढ़ाया गया है। कोल सेक्टर में भी हड़ताल होगी।

यहां बताना होगा कि 30 जनवरी को हड़ताल को लेकर ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने सीआईएल प्रबंधन को 13 बिन्दुओं वाला चार्टर ऑफ डिमांड सौंपा है। चार्टर ऑफ डिमांड में एमडीओ, रेवन्यू शेयरिंग के जरिए कोयला खदानों का निजीकरण करना, 9.4.0, कॉन्ट्रेक्ट एम्प्लायमेंट, लैंगिक भेदभाव को दूर करना, ठेका श्रमिकों के मुद्दे, खदानों को अनियमित रूप से बंद करना, रिक्तियों को भरना, पुनर्वास और कृषि के आश्रितों को रोजगार की गारंटी, सिकल सेल, पेंशन में बढ़ोतरी, सीएमपीएफ की गड़बड़ी की उच्च स्तरीय जांच, सीपीआरएमएस-एनई का मुद्दा, जस्ट ट्रांजिस्ट को सम्मिलित किया गया है।

इसे भी पढ़ें : नीलेन्दु कुमार सिंह होंगे सेन्ट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के CMD

देशव्यापी हड़ताल के ये हैं प्रमुख मुद्दे

यहां बताना होगा कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और केंद्रीय श्रम संगठनों (CTU) एवं महासंघों के मंच ने 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल और ग्रामीण बंद बुलाने का आह्वान किया है। संयुक्त मंच फसलों के उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), श्रमिकों को 26,000 रुपए की न्यूनतम मासिक मजदूरी, चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, आईपीसी एवं सीआरपीसी में किए गए संशोधनों को निरस्त करने और रोजगार गारंटी को मौलिक अधिकार बनाने की मांग कर रहा है। श्रमिक संगठन रेलवे, रक्षा, बिजली, कोयला, तेल, इस्पात, दूरसंचार, डाक, बैंक, बीमा, परिवहन, हवाई अड्डों, बंदरगाह के सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण नहीं करने की भी मांग कर रहे हैं।

ये हैं अन्य मांगे

अन्य मांगों में शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण रोकना, नौकरियों में संविदा नियुक्ति पर लगाम, निश्चित अवधि के रोजगार को खत्म करना, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 200 दिन कार्य और 600 रुपये की दैनिक मजदूरी के साथ मनरेगा को मजबूत करना, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना और संगठित एवं असंगठित दोनो क्षेत्रों में कार्यरत सभी लोगों को पेशन एवं सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराना शामिल है।

  • Website Designing